केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में जल्द शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियों और इससे संबंधित सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए आज एक हाई लेवल बैठक की अध्यक्षता करेंगे. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी. दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ की पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 62 दिवसीय वार्षिक तीर्थयात्रा एक जुलाई से शुरू होगी और 31 अगस्त तक जारी रहेगी. सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करेंगे. उन्होंने कहा कि शाह तीर्थ यात्रियों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई जा रही योजनाओं का भी जायजा लेंगे. सूत्रों के मुताबिक, खुफिया जानकारियां मिली हैं कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं. इसके मद्देनजर यात्रा मार्ग पर पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी.
सूत्रों ने बताया कि समीक्षा बैठक में इस तीर्थयात्रा से जुड़े सभी स्टेक होल्डर्स के शामिल होने की संभावना है. इस दौरान, यात्रा के लिए की जा रही सभी तैयारियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. सूत्रों के अनुसार, अमरनाथ गुफा को जाने वाले दोनों मार्गों-बालटाल और पहलगाम पर भारी बर्फ मौजूद है और सीमा सड़क संगठन (BRO) को 15 जून तक बर्फ हटाने का काम सौंपा गया है. पिछले साल 3.45 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे और इस साल यह संख्या पांच लाख के पार जाने का अनुमान है. सूत्रों ने कहा कि किसी भी संभावित प्राकृतिक हादसे के खतरे को देखते हुए नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फाॅर्स (NDRF) ने श्रद्धालु शिविरों के लिए उपयुक्त जगहों की पहचान शुरू कर दी है. मालूम हो कि पिछले साल भारी बारिश के कारण पवित्र गुफा के पास अचानक आई बाढ़ से 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.
सूत्रों के मुताबिक, पवित्र गुफा के ऊपरी हिस्से में हिमनदीय घटनाओं और झीलों के निर्माण का पता लगाने के लिए भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों से हवाई निरीक्षण करवाए जाने की संभावना है. हिमनदीय घटनाओं और झीलों के निर्माण की वजह से निचले भाग में अचानक बाढ़ आने की संभावना बढ़ जाती है. सूत्रों ने कहा कि पिछले साल जून में अचानक आई बाढ़ के बाद ही हवाई निरीक्षण करवाया गया था, लेकिन इस बार यात्रा की शुरुआत से पहले और दो महीने की तीर्थयात्रा के दौरान लगातार अंतराल पर यह अभ्यास किया जाएगा. उन्होंने बताया कि रिमोट सेंसिंग एवं उपग्रह, जल विज्ञान और आपदा प्रतिक्रिया में विशेषज्ञता वाली टीम द्वारा हवाई सर्वेक्षण किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि पानी का खतरनाक जमाव दिखने पर पूरे तीर्थ यात्रा मार्ग, खासतौर पर अमरनाथ गुफा के पास के क्षेत्र में आकस्मिक उपाय किए जाएंगे.