दिवाली को रोशन करेंगी केले के रेशे से बनी ये लाइट्स, आसानी से हो जाएंगी रिसाइकल

इस दिवाली घर को रौतन कीजिए केले के रेशे से बनी लाइट्स से. बड़ी बात यह है कि दिवाली को रोशन करने के बाद रिसाइकल भी हो जायेंगी. इसे बनाने वाली जेनी ने कागज से सस्टेनेबल लाइटिंग बनाने की यह कला साल 2000 में पोर्टलैंड में सीखी.

By Prabhat Khabar News Desk | October 20, 2021 1:47 PM

भारत के सस्टेनेबल पेपर और लाइटिंग इंडस्ट्री में एक अग्रणी नाम बन चुकीं जेनी पिंटो इस साल दिवाली को केले के रेशे से बनी लाइट्स से रौशन करने की तैयारी में हैं. बड़ी बात यह है कि दिवाली को रोशन करने के बाद रिसाइकल भी हो जायेंगी. उनका घरेलू ब्रांड ‘ऊर्जा’ लाइटिंग से लेकर क्राफ्ट होम एक्सेसरीज तक सबकुछ बना रहा है. ये सभी प्रोडक्ट्स कचरे को रिसाइकल कर बनाये जाते हैं.

‘ऊर्जा’ ने हास्पिटैलिटी और कॉर्पोरेट क्षेत्र में कई बड़ी कंपनियों मसलन फैटी बाओ, याज़ू, गोनेटिव, लिंक्डइन, गूगल और रिलायंस के साथ भी काम किया है. पर्यावरण से लगाव रखनेवाली जेनी ने कागज से सस्टेनेबल लाइटिंग बनाने की यह कला साल 2000 में पोर्टलैंड में सीखी.

जेनी ने वहां हेलन हेबर्ट के साथ केले के रेशे से कागज बनाना और उसे लाइटिंग के लिए इस्तेमाल करना सीखा. जेनी ने बताया कि कागज को प्लांट सेल्युलोज से बनाया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में फाइबर को पानी और एडिटिव्स में पकाया जाता है और फिर लुगदी को सांचे में डालकर पेपर बनाया जाता है.

इस प्रक्रिया में पानी की खपत बहुत अधिक होती है. इसके लिए जेनी ने बारिश के पानी को संरक्षित और रिसाइकल करने के लिए अलग से एक यूनिट लगायी. वह, कागज बनाने में इस्तेमाल पानी को रिसाइकल करती हैं और फिर उस पानी से अपने बगीचे में लगे पौधों की सिंचाई करती हैं.

जेनी ने बताया कि वह कागज बनाने में कम-से-कम टॉक्सिक एडिटिव का इस्तेमाल करती हैं. वह रेशे को कॉस्टिक सोडा की बजाय वाशिंग सोडा में पकाती हैं. इस तरीके से बने कागज को रिसाइकल किया जा सकता है और इस्तेमाल के बाद ये सुरक्षित तरीके से कंपोस्ट यानी खाद में भी बदले जा सकते हैं.

Posted by: Pritish Sahay

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