क्रिप्टो पर सरकार की मंशा साफ, वित्त सचिव ने कहा-भारत में क्रिप्टो को नहीं मिलेगा लीगल करेंसी का दर्जा

संसद का शीतकालिन सत्र शुरु होने से पहले केंद्र सरकार ने क्रिप्टो बिल को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है. वित्त सचिव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि क्रिप्टो को लीगल करेंसी का दर्जा नहीं मिलेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2021 9:36 AM
an image

संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरु होने वाला है. इसमें सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियमन वाला बिल ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल- 2021’ लेकर आ रही है. बिल के पेश होने से पहले इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं, सरकार क्रिप्टो को पूरी तरह से लीगल करने के मूड में नजर नहीं आ रही है. वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने गुरुवार को कहा कि देश में किसी भी स्थिति में क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर नहीं किया जाएगा. जिससे साफ है कि लेनदेन में इस करेंसी का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन रहेगा.

बता दें कि संसद में क्रिप्टो बिल के जरिए ये सुनिश्चित करेगी कि निवेशक क्रिप्टोकरेंसी से सुरक्षित दूरी बनाएं. निवेशकों के ऐसा नहीं करने से इसका पूरा जोखिम उन्हें खुद भुगतना होगा. वित्त सचिव ने अनुसार, संसद में क्रिप्टो बिल पेश करने से पहले काफी स्टडी की जा रही है. हालांकि उन्होंने साफ तौर पर कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को किसी भी तरह से लीगल टेंडर नहीं होगी. देश में सोना भी लीगल टेंडर नहीं है न ही चांदी या शराब को लीगल टेंडर माना गया है. उन्होंने आगे कहा कि इससे ज्यादा वे अभी कुछ कहने की स्थित में नहीं हैं. फिलहाल बिल का मसौदा तैयार किया जा रहा है. उन्होंने इशारों में कहा कि नए बिल में प्रतिबंधित जैसे शब्द को हटा दिया गया है.

वहीं, आपको बता दें कि क्रिप्टो पर बरकरार सारी शंकाओं का समाधान संसद में बिल पेश होने के बाद ही होगा. देश में अधिकृत रूप से इस पर सरकार क्या राय रखती है ये बिल पेश होने के बाद ही पत्ता चल पाएगा. अभी की स्थिति को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि सरकार चाहती है कि आरबीआइ अपनी क्रिप्टोकरेंसी जारी करे और भारत में मौजूद जितने भी निजी क्रिप्टोकरेंसी हैं उन पर बैन लगे. संभावना ये भी कि है कि शायद सरकार मुख्य रूप से चलने वाले क्रिप्टो को कुछ शर्तों के साथ मान्यता दे दे. लेकिन अभी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट और दावों के साथ नहीं कहा जा सकता है.

Exit mobile version