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Fisheries: मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू होगी कई नयी पहल

डेटा-संचालित नीति निर्माण के लिए 5वीं समुद्री मत्स्य जनगणना, शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना, अवैध, अनियमित और अप्रतिबंधित मछली पकड़ने को रोकने और बंगाल की खाड़ी-क्षेत्रीय कार्य योजना (बीओबी-आरपीओए) गुरुवार को शुरू की जाएगी.

Fisheries: देश में मत्स्य पालन के लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है. मत्स्य पालन के क्षेत्र में लगातार वृद्धि हो रही है. सरकार की ओर से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इस कड़ी में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय 21 नवंबर 2024 को विश्व मत्स्य पालन दिवस मनाने जा रहा है. विश्व मत्स्य पालन दिवस, 2024 का थीम है भारत का नीला परिवर्तन: लघु-स्तरीय और टिकाऊ मत्स्य पालन को मजबूत करना. गुरुवार को कार्यक्रम के दौरान स्थायी मत्स्य पालन और जलीय कृषि को आगे बढ़ाने के लिए कई नयी पहल को शुरू किया जायेगा. इनमें डेटा-संचालित नीति निर्माण के लिए 5वीं समुद्री मत्स्य जनगणना, स्थायी शार्क प्रबंधन के लिए शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना, अवैध, अनियमित और अप्रतिबंधित मछली पकड़ने को रोकने और बंगाल की खाड़ी-क्षेत्रीय कार्य योजना (बीओबी-आरपीओए) को शुरू किया जायेगा.

साथ ही समुद्री प्लास्टिक कूड़े से निपटने के लिए आईएमओ-एफएओ ग्लोलिटर पार्टनरशिप प्रोजेक्ट और ऊर्जा-कुशल, कम लागत वाले समुद्री मछली पकड़ने के ईंधन को बढ़ावा देने के लिए रेट्रोफिटेड एलपीजी किट के लिए मानक संचालन प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी. इसके अलावा तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण नयी सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) डब्ल्यूएफडी 2024 लांच होगी जो तटीय जलीय कृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण का काम करेगी. कार्यक्रम के तहत प्रगतिशील राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और व्यक्तियों, उद्यमियों को भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि विकास में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा. इस कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह के अलावा वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे. 


भारत में तेजी से बढ़ हा है मत्स्य पालन का क्षेत्र


मत्स्य विभाग के हालिया प्रयासों से हाशिए पर पड़े तथा आदिवासी समुदायों को काफी लाभ हुआ है. सरकार की कोशिशों का परिणाम है कि देश में मछली उत्पादन 2013-14 में 95.79 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 175.45 लाख टन हो गया है और यह क्षेत्र में 9 फीसदी की दर से विकास कर रहा है. इस विकास में छोटे पैमाने पर किया जा रहा मत्स्य पालन भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण, आय सृजन, आजीविका में सहयोग और गरीबी उन्मूलन में विशेष योगदान प्रदान कर रहा है. वर्ष 2015 से भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों जैसे नीली क्रांति योजना, मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के जरिये मत्स्य पालन क्षेत्र में कुल 38572 करोड़ रुपये का निवेश किया है. 

मत्स्य पालन और जलीय कृषि, वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा का अभिन्न अंग है, जो दुनिया में लगभग 61.8 मिलियन लोगों की आजीविका का साधन है. वर्ष 2022 में इस क्षेत्र में वैश्विक उत्पादन अभूतपूर्व 223.2 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो आजीविका,अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है. दूसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक देश के रूप में, वैश्विक मछली उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 8 फीसदी है. 

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