Rafale: दुश्मनों पर कहर बरसाने को तैयार राफेल, चीन से तनाव के बीच कल होगा वायुसेना में शामिल
Rafale: पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन से जारी गतिरोध के बीच राफेल कल वायुसेना में शामिल होगा. भारतीय वायुसेना में पांच राफेल लड़ाकू विमानों को 10 सिंतम्बर यानि गुरुवार को अंबाला एयर बेस पर औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा.
Rafale: पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन से जारी गतिरोध के बीच राफेल कल वायुसेना में शामिल होगा. भारतीय वायुसेना में पांच राफेल लड़ाकू विमानों को 10 सिंतम्बर यानि गुरुवार को अंबाला एयर बेस पर औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा. इस दौरान आयोजित होने वाले समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उनकी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली और भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे. बता दें कि समारोह के बाद भारत और फ्रांस के रक्षा मंत्री दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और सुरक्षा सहयोग को और मजबूती देने के लिये अंबाला में चर्चा करेंगे.
बता दें कि पांच राफेल जेट विमानों का पहला बैच इसी साल 29 जुलाई को भारत पहुंच गया था. 2016 में भारत और फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये 59,000 करोड़ रुपये समझौता हुआ था और इस समझौते के करीब चार साल बाद 29 जुलाई को पांच राफेल लड़ाकू विमानों का पहला जत्था भारत पहुंचा था.
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राफेल अधिकतम रफ्तार 1400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुनिया का सबसे बेहतरीन लड़ाकू जहाज काफी ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. यह 50,000 की ऊंचाई तक उड़ सकता है जो इसकी एक बड़ी ताकत है. अत्याधुनिक और ताकतवर हथियारों से लैस राफेल दुश्मनों से देश की रक्षा भी कर सकता है और खुद की भी रक्षा कर सकता है. इसलिए इसे हवाई युद्ध का बादशाह कहा जाता है.
राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है. जबकि, एफ-16 का 4200 किलोमीटर है. वहीं, जे-20 का 3400 किलोमीटर है. कॉम्बैट रेडियस यानी अपनी उड़ानस्थल से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे विमान का कॉम्बैट रेडियस कहते हैं. बता दें कि राफेल विमान हवा से जमीन और हवा से हवा में मार कर सकता है. जो इसकी युद्ध कौशल क्षमता को बढ़ाता है. चीन और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों से यह बेहतर है.
Posted by : Rajat Kumar