Food Processing Industries: सरकार ने मोटा अनाज आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं. इन उपायों में उपयोगकर्ता के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और त्वरित समस्या समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है. योजना दिशानिर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर योजना दिशानिर्देशों पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं. इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली बनाए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है.
खाद्य उत्पादों में मोटे अनाज के उपयोग को बढ़ावा देने और उनके मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए केंद्र सरकार ने 800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मोटा अनाज आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की.
स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को मिला बढ़ावा
इस योजना में निवेश की आरंभिक सीमा हटा दी गई है जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ है. प्रोत्साहन राशि हेतु अर्हता प्राप्त करने के लिए इस योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में कम से कम 10 प्रतिशत की साल-दर-साल बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी. यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक मोटा अनाज होता है. मोटा अनाज आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना में शुरू में तीस लाभार्थियों को नामांकित किया गया था.
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, मोटा अनाज आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्रोत वाले कृषि उत्पादों का उपयोग किया जाना चाहिए. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि इससे स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा मिला है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है. इस योजना की अवधि पांच वर्ष है. पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे. 19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं.