भारत में बनेगा विश्व का सबसे बड़ा अनाज भंडार
वर्ष 1960 के दशक में देश में हरित क्रांति की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे भारत में गेहूं, चावल समेत तमाम अनाजों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने लगा. देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने समेत तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी है.
आरती श्रीवास्तव
बीते सप्ताह (31 मई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सहकारिता के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आइएमसी) के गठन और सशक्तिकरण को स्वीकृति प्रदान की. एक लाख करोड़ रुपये की इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना, फसल नुकसान को कम करना और किसानों द्वारा संकट के समय में की जाने वाली बिक्री पर रोक लगाना है. इस योजना का पेशेवर तरीके से समयबद्ध और एक समान कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कम से कम 10 चुने हुए जिलों में एक पायलट परियोजना लागू करेगा. यह पायलट परियोजना, भंडारण योजना की विभिन्न क्षेत्रीय आवश्यकताओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया करायेगी, जिसे इस योजना के देशव्यापी कार्यान्वयन में शामिल किया जायेगा.
अंतर-मंत्रालयी समिति देगी दिशा-निर्देश
विश्व के सबसे बड़े अन्न भंडारण योजना को अमली जामा पहनाने के लिए सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आइएमसी)) का गठन किया जायेगा. इस समिति में कृषि और किसान कल्याण मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के सचिव, सदस्य के रूप में सम्मिलित होंगे. समिति और इसमें शामिल सदस्यों को चुने हुए व्यावहारिक कृषि क्रेडिट समितियों (प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटिज (पैक्स)) में कृषि और इससे संबंधित उद्देश्यों के लिए गोदाम आदि के निर्माण से जुड़े मंत्रालयों की योजनाओं के दिशा-निर्देशों व कार्यान्वयन पद्धति में जरूरत पड़ने पर संशोधन करने का अधिकार होगा.
पांच वर्षों में सात सौ लाख टन अन्न भंडारण क्षमता निर्माण की योजना
अन्न भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत की गयी योजना के जरिये अगले पांच वर्षों में सहकारी क्षेत्र में 700 लाख टन अतिरिक्त भंडारण क्षमता का निर्माण होगा. वर्तमान में इस क्षेत्र की अन्न भंडारण क्षमता 1,450 लाख टन है. इस प्रकार, इस योजना के सफल कार्यान्वयन के बाद सहकारिता क्षेत्र में कुल भंडारण क्षमता 2,150 लाख टन हो जायेगी. सरकार की मानें, तो इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने में भी सहायता मिलेगी. यह योजना सहकारिता क्षेत्र में ‘दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना’ है. केंद्र सरकार द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, सहकारी क्षेत्र की मौजूदा भंडारण क्षमता 1,450 लाख टन में से सबसे अधिक 60 प्रतिशत पंजाब में है जबकि सबसे कम 21 प्रतिशत पश्चिम बंगाल में है.
विभिन्न चरणों में होगा योजना का कार्यान्वयन
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योजना को मंत्रिमंडलीय मंजूरी मिलने के एक सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय स्तर की समन्वय समिति का गठन किया जायेगा.
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मंजूरी के 15 दिनों के भीतर कार्यान्वयन दिशानिर्देश जारी किये जायेंगे.
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मंजूरी के 45 दिनों के भीतर पैक्स को भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ जोड़ने के लिए एक पोर्टल शुरू किया जायेगा.
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मंत्रिमंडल से स्वीकृति मिलने के 45 दिनों के भीतर ही इस प्रस्ताव को अमल में लाने का कार्य प्रारंभ हो जायेगा.
इस तरह होगा पैसों का प्रबंध
यह कार्यक्रम लगभग एक लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ शुरू होगा. इस योजना के कार्यान्वयन के लिए कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों में उपलब्ध कोष का इस्तेमाल किया जायेगा. सरकार के अनुसार, इस योजना के तहत प्रत्येक प्रखंड में 2,000 टन क्षमता का गोदाम स्थापित किया जायेगा और इसके लिए प्रत्येक पैक्स को वित्तीय सहायता दी जायेगी.
बहुआयामी है भंडारण योजना
अन्न भंडारण की यह योजना बहुआयामी है. यह न केवल पैक्स के स्तर पर गोदामों का निर्माण कर देश में भंडारण के बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करेगी, बल्कि पैक्स को कई अन्य कार्य करने में भी सक्षम बनायेगी. जैसे, राज्य एजेंसियों व भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के लिए खरीद केंद्र (प्रोक्योरमेंट सेंटर) के रूप में कार्य करना, उचित दर की दुकानों (एफपीएस) के रूप में सेवा प्रदान करना, कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करना, कॉमन प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करना जिसमें कृषि उपजों की जांच, छंटाई, ग्रेडिंग इकाई आदि कार्य शामिल होंगे. इन कदमों से पैक्स को बहुउद्देशीय बनाया जा सकेगा.
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इतना ही नहीं, स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता बनने से देश में खाद्यान्न की होने वाली बर्बादी में कमी आयेगी और देश में खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी.
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किसानों को विभिन्न विकल्प उपलब्ध कराने से फसलों की बहुत कम मूल्य पर आकस्मिक बिक्री रुकेगी और किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा.
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इस योजना के तहत किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कुछ अग्रिम भुगतान प्राप्त कर अपनी फसल पैक्स को बेच सकते हैं, और पैक्स द्वारा बाजार में खाद्यान्नों की बिक्री के बाद शेष राशि प्राप्त कर सकते हैं, या
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किसान चाहें तो अपनी फसल का भंडारण पैक्स द्वारा प्रबंधित गोदाम में कर सकते हैं और फसल के अगले चक्र के लिए धन प्राप्त कर सकते हैं तथा अपनी फसल को अपनी इच्छानुसार समय पर बेच सकते हैं, या
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किसान अपनी पूरी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैक्स को बेच सकते हैं.
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इस योजना के कार्यान्वयन से खरीद केंद्रों तक और उसके बाद गोदामों से उचित दर की दुकानों तक खाद्यान्नों को ले जाने वाले खर्च में काफी कमी आयेगी.
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‘होल ऑफ गवर्नमेंट’ अप्रोच के माध्यम से यह योजना पैक्स को उसकी व्यावसायिक गतिविधियों को भिन्न-भिन्न कार्यों को करने में सक्षम बनायेगी, जिससे पैक्स सशक्त होंगे. जब पैक्स सशक्त होंगे तो जाहिर है कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी.
दो हजार हैं देशभर में एफसीआइ संचालित गोदामों की संख्या
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण के केंद्रीय राज्य मंत्री, अश्विनी कुमार चौबे द्वारा फरवरी, 2022 को राज्यसभा में लिखित उत्तर में बताया गया कि एक फरवरी, 2022 तक देश में खाद्यान्न भंडारण के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) द्वारा संचालित 2199 गोदाम हैं. इन गोदामों में एफसीआइ के स्वामित्व वाले और किराये के गोदाम दोनों शामिल हैं.
एफसीआइ संचालित राज्यवार गोदामों की संख्या (1.1.2022 की स्थिति के अनुसार)
राज्य गोदामों की संख्या
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पंजाब 611
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हरियाणा 297
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उत्तर प्रदेश 248
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राजस्थान 173
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महाराष्ट्र 89
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बिहार 80
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झारखंड 48
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ओडिशा 46
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पश्चिम बंगाल 30
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कुल 2,199
अनाज भंडारण की कुछ पारंपरिक विधियां
सदियों से खेती करते किसानों ने अपने अनुभवों से अपनी उपज को सुरक्षित रखने की कुछ विधियां विकसित की थीं. जानते हैं अनाजों को सुरक्षित रखने के कुछ ऐसे ही आम तरीकों के बारे में.
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धूप में सुखाना : इस विधि में किसान अनाज को 20 डिग्री या उससे अधिक तापमान में खुले में छोड़ देते हैं. इससे उनमें मौजूद कीड़े मर जाते हैं. इसके बाद उसे भंडार कर रख लिया जाता है.
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आग के नजदीक रखना : पारंपरिक तौर पर किसान अनाज को उस स्थान के नजदीक रखते हैं जहां खाना बनाया जाता है. इससे रसोई से निकलने वाली गर्मी और धुएं से कीड़े भाग जाते हैं. अनाज की मात्रा बहुत ज्यादा हो, तो उसे सुरक्षित रखने के लिए बार्न बनाये जाते रहे हैं जहां धीमी आंच पर आग जलती रहती है. आग की गर्मी से अनाज में नमी नहीं आती.
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नमक का इस्तेमाल : अल्प अवधि तक अनाज के भंडारण के लिए किसान अक्सर नमक का भी इस्तेमाल करते हैं. इससे कीड़े स्टोर के भीतर प्रवेश नहीं कर पाते.
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कपूर का इस्तेमाल : कम अवधि तक अनाज को स्टोर करने के लिए किसान कपूर का भी प्रयोग करते हैं. कपूर की तेज गंध से भी कीड़े अनाज से दूर रहते हैं.
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जमीन के भीतर गड्ढे में रखना : यह तरीका उन क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाता रहा है जहां जल स्तर कम होता है. इसमें बेलनाकार या घंटी के आकार के गड्ढे बनाकर उसकी भीतरी परत पर मक्के की भूसी या भूसा लगाने के बाद उसमें अनाज रख गड्ढे को लकड़ी के पट्टों या पॉलिथीन या फिर स्टील की चादरों से ढक दिया जाता है.
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साइलो (खत्ती) : साइलो अक्सर गांवों में दिखाई देने वाला एक लंबा बेलनाकार झोपड़ी जैसा भंडार होता है जिसमें धान जैसे अनाजों को रखा जाता है. ये धातु, कंक्रीट, प्लास्टिक या मिट्टी से बनाये जा सकते हैं. इनमें छह महीने से लेकर सालों तक अनाज का सुरक्षित भंडारण किया जा सकता है.
ऐसे करती है एफसीआइ खाद्यान्नों का भंडारण
भारतीय खाद्य निगम, यानी एफसीआई जैसी संस्थानों के लिए भंडारण का कार्य सर्वाधिक महत्व रखता है. एफसीआई के पास तो अपनी भंडारण क्षमता है ही, वह निजी उद्यमी गारंटी योजना के तहत भी लघु अवधि के साथ-साथ गारंटी अवधि के लिए केंद्रीय भंडारण निगम, राज्य भंडारण निगम, राज्य एजेंसियों और निजी क्षेत्र के गोदामों को भी किराये पर लेती है.
बीते कुछ वर्षों की खाद्यान्न भंडारण
क्षमता (एक अप्रैल को) (लाख मीट्रिक टन में)
वर्ष – एफसीआई की भंडारण क्षमता – राज्य एजेंसियों की भंडारण क्षमता – कुल
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01.04.2018 – 362.50 – 480.53 – 843.03
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01.04.2019 – 388.65 – 467.03 – 855.68
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01.04.2020 – 412.03 – 343.91 – 755.94
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01.04.2021 – 414.70 – 403.26 – 817.96
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01.04.2022 – 426.69 – 361.73 – 788.42
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01.04.2023 – 337.43 – 376.16 – 713.59
स्रोत: भारतीय खाद्य निगम
इस वर्ष फरवरी में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कृषि वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान जारी किये गये. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की मानें, तो मौजूदा वित्त वर्ष में 3235.54 लाख टन रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 79.38 लाख टन अधिक है.
देश में खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान
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1308.37 लाख टन रिकॉर्ड चावल के उत्पादन की उम्मीद है, जो 2021-22 की तुलना में 13.65 लाख टन अधिक है.
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1121.82 लाख टन रिकॉर्ड गेहूं के उत्पादन का अनुमान है, जो बीते वित्त वर्ष के उत्पादन से 44.40 लाख टन ज्यादा है.
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527.26 लाख टन मोटे या पोषक अनाज (श्री अन्न) का उत्पादन अनुमानित है, जो बीते वर्ष की तुलना में 16.25 लाख टन ज्यादा है.
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346.13 लाख टन मक्के के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 8.83 लाख टन अधिक है.
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22.04 लाख टन जौ के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है इस वर्ष.
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278.10 लाख टन कुल दलहन के रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना है इस वर्ष, जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 5.08 लाख टन एवं विगत पांच वर्षों के औसत दलहन उत्पादन की तुलना में 31.54 लाख टन अधिक है.
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136.32 लाख टन चने के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है इस वर्ष.
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35.45 लाख टन मूंग के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद जतायी गयी है इस वर्ष, जो बीते वर्ष की तुलना में 3.80 लाख टन अधिक है.