भारत में परिवहन की रफ्तारबढ़ाने के लिए कई मोर्चे पर काम चल रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछाने में जुटी हुई है. विकास के साथ-साथ पर्यावरण का भी खास ख्याल रखा जा रहा है. इसलिए कई नयी चीजें पहली बार देश में हो रही हैं. इसी में एक है- एनीमल पैसेज कॉरिडोर (Animal Passage Corridor). परियोजना की वजह से वन्य जीवों को परेशानी नहीं हो, वे अपने आंगन में स्वच्छंद विचरण कर सकें, इसलिए भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा ओवरपास बनाया जायेगा.
सिंगापुर की तर्ज पर महाराष्ट्र के संजय गांधी नेशनल पार्क (SGNP) और टुंगरेश्वर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी (TWS) में देश के पहले और सबसे बड़े एनीमल पैसेज कॉरिडोर का निर्माण नवंबर में शुरू होगा. हाई स्पीड रेल से जुड़े तीन प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन, मुंबई-दिल्ली डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर एवं अलीबाग-विरार मल्टीमॉडल कॉरिडोर का निर्माण युद्धस्तर पर एक साथ चल रहा है.
तीनों प्रोजेक्ट संजय गांधी नेशनल पार्क और टुंगरेश्वर वन्यजीव अभ्यारण्य से होकर गुजरेंगे. सरकार ने तय किया है कि इन परियोजनाओं की वजह से पर्यावरण और जंगल में रहने वाले जीव-जंतुओं पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. सो, एनीमल पैसेज कॉरिडोर का निर्माण करने का फैसला हुआ. सरकार ने सिंगापुर के एनिमल ओवरपास की तर्ज पर ओवरपास बनाना तय किया.
Delhi-#Mumbai Expressway – India's longest expressway
🛣️First in Asia to feature animal overpasses to enable unrestricted movement of wildlife🐅
🛣️Annual fuel savings expected to be higher than 320 million litres!
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— PIB in Maharashtra 🇮🇳 (@PIBMumbai) September 29, 2021
महाराष्ट्र में 103 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले संजय गांधी नेशनल पार्क में पेड़-पौधों की 1300 प्रजातियां हैं, तो पक्षियों की 274 एवं तितलियों की 170 प्रजातियां मौजूद हैं. इस नेशनल पार्क में 35 तरह के स्तनपायी जानवर हैं. 50 तेंदुआ भी हैं. दूसरी तरफ, 85 वर्ग किलोमीटर में फैला टुंगरेश्वर वन्यजीव अभ्यारण्य संजय गांधी नेशनल पार्क के नगला ब्लॉक एवं तांसा वन्यजीव अभ्यारण्य से जुड़ा हुआ है. तेंदुआ, जंगली सुअर, रीसस मकाकू एवं चार सींग वाले मृगों का यहां बसेरा है.
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दिल्ली-मुंबई डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण करने वाली संस्था डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCI) ने 30 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा ओवरपास बनाने का प्रस्ताव वन्यजीव प्राधिकार को दिया था. लेकिन, वाइल्डलाइफ के अधिकारियों ने कहा कि इसे 110 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा बनाया जाये.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे 1380 किलोमीटर लंबा देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे है. इसके निर्माण पर 95000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. निर्माण पूरा हो जाने के बाद देश को हर साल 32 करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी.
बाद में इसी क्षेत्र को मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर एवं अलीबाग-विरार मल्टीमॉडल कॉरिडोर के लिए भी चुना गया. अधिकारियों ने बताया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं महाराष्ट्र सरकार ने फरवरी में ही इस परियोजना को मंजूरी दे दी थी. इसलिए नक्शा और डिजाइन बनाने का काम पूरा हो चुका है.
नक्शा और डिजाइन दोनों को रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) की मंजूरी के लिए DFCCI ने भेजा है. CRS की मंजूरी मिलते ही नवंबर में इस पर काम शुरू कर दिया जायेगा. जून 2022 तक इसका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. अधिकारियों को उम्मीद है कि 45 दिन के अंदर इसकी मंजूरी मिल जायेगी. मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जायेगा.
ओवरपास का निर्माण कुछ इस तरह से किया जायेगा कि वन क्षेत्र में रहने वाले जीव-जंतुओं को यह एहसास भी न हो पाये कि उनके क्षेत्र में कोई अतिक्रमण हुआ है. वन क्षेत्र में उनके स्वच्छंद विचरण के लिए ओवरपास के आसपास हेवी लाइटिंग पर पूर्णतया रोक लगा दी जायेगी. चट्टानों, लकड़ियों एवं जलाशयों का निर्माण किया जायेगा. इतना ही नहीं, ध्वनि को नियंत्रित करने वाले हाई क्वालिटी बैरियर बनाये जायेंगे, ताकि जंगलों में रहने वाले जानवर एवं जीव-जंतु खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.
Posted By: Mithilesh Jha