राजकीय सम्मान के साथ रामपुर बुशहर में हुआ पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का अंतिम संस्कार
Funeral with State honors, Rampur Bushahr, Virbhadra Singh : शिमला : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ रामपुर में अंतिम संस्कार किया गया. मालूम हो कि लंबी बीमारी के बाद आठ जुलाई, गुरुवार को शिमला में उनका निधन हो गया था.
शिमला : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ रामपुर में अंतिम संस्कार किया गया. मालूम हो कि लंबी बीमारी के बाद आठ जुलाई, गुरुवार को शिमला में उनका निधन हो गया था.
Himachal Pradesh | Former Chief Minister Virbhadra Singh was cremated with full state honours at Rampur today
He passed away on 8th July in Shimla after a prolonged illness. pic.twitter.com/ExTAT4sUBb
— ANI (@ANI) July 10, 2021
जानकारी के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का शनिवार को शिमला जिले के उनके पैतृक स्थान रामपुर बुशहर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले मुख्यमंत्री, मंत्रियों, वरिष्ठ नेताओं ने दिग्गज नेता को श्रद्धांजलि दी.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, वन मंत्री राकेश पठानिया, कई भाजपा और कांग्रेस नेताओं और विभिन्न क्षेत्रों के हजारों लोगों ने वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि दी. वीरभद्र सिंह ने लंबी बीमारी के बाद आठ जुलाई, 2021 को शिमला के आईजीएमसी में तड़के अंतिम सांस ली.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने अपने साठ वर्षों के लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान हिमाचल प्रदेश के विकास और यहां के लोगों के कल्याण के लिए बहुत योगदान दिया है. वह रिकॉर्ड छह बार मुख्यमंत्री रहे और केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवाएं भी दीं. उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह को उनके योगदान के लिए जनता हमेशा याद रखेगी.
इससे पहले वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर के सामने बेटे विक्रमादित्य सिंह का पद्म पैलेस में राज्याभिषेक किया गया. इसके साथ ही विक्रमादित्य सिंह को बुशहर रियासत का 123वां राजा चुना गया. मालूम हो कि बुशहर रियासत को भगवान कृष्ण की वंशावली से जोड़ा जाता है. राज्याभिषेक के बाद विक्रमादित्य को पीपल के पेड़ के नीचे राजगद्दी पर बैठाया गया.
पूरी प्रक्रिया परदे में आयोजित की गयी. राजगद्दी कक्ष में केवल राजपरिवार के गिने-चुने लोगों और पुरोहितों को ही अनुमति मिली. वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर को बाहर लाने के बाद विक्रमादित्य को महल के भीतर राज सिंहासन पर बैठाया गया1 इस दौरान पारंपरिक लोकवाद्य यंत्रों की ध्वनियों से रियासत गूंज उठी.