पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा पर लगा जुर्माना, एनआईसीई कंपनी की छवि खराब करने का आरोप, जानिए कितना देना होगा मुआवजा

Defamation Case, HD Deve Gowda: भारत के पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा को एक अपमानजनक बयान के लिए बंगलुरु की एक अदालत ने दो करोड़ का जुर्माना लगाया है. एचडी देवेगौड़ा जुर्माने की यह रकम कंपनी को देंगे. बता दें, आज से करीब 10 साल पहले एक टीवी इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइजेज (NICE) के खिलाफ अपमानजनक बातें कही थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2021 2:59 PM
  • पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा पर जुर्माना

  • एनआईसीई ने किया था मानहानि

  • 2 करोड़ रुपये का देना होगा मुआवजा

Defamation Case, HD Deve Gowda: भारत के पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा (Former Pm HD Deve Gowda) को एक अपमानजनक बयान के लिए बंगलुरु की एक अदालत ने दो करोड़ का जुर्माना लगाया है. एचडी देवेगौड़ा जुर्माने की यह रकम कंपनी को देंगे. बता दें, आज से करीब 10 साल पहले एक टीवी इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइजेज (NICE) के खिलाफ अपमानजनक बातें कही थी. जिसके एवज कोर्ट ने हर्जाना देने की बात कही है.

गौरतलब है कि एक कन्नड़ न्यूज चैनल पर साल 2011 को पूर्व पीएम एचडी दैवेगौड़ा ने एख इंटरव्यू दिया था. जिसमें उन्होंने एक कंपनी के खिलाफ अपमानजनक बाते कह दी थी, जिसके बाद कंपनी ने मानहानि का मुकदमा दायर करते हुए कहा कि उस बयान से कंपनी की प्रतिष्ठा को आघात हुआ है. उसी बयान की तर्ज पर कोर्ट ने कंपनी को हर्जाने के रूप में दो करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

बता दें, सत्र न्यायाधीश मल्लनगौडा ने एनआईसीई की दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया है. बता दें, नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइजेज कंपनी के प्रवर्तक और प्रबंध निदेशक अशोक खेनी हैं. अशोक खुद बीदर दक्षिण के पूर्व विधायक रह चुके हैं. कन्नड़ समाचार चैनल पर एचडी देवेगौड़ा ने 28 जून 2011 को साक्षात्कार दिया था.

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कंपनी के खिलाफ दैवेगौड़ा ने क्या कहा थाः बता दे कन्नड़ न्यूज चैनल जेडीएस सुप्रीमो ने नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइजेज परियोजना को लेकर कहा था कि, कंपनी का मकसद लूट हैं, जिसके बाद कंपनी ने मानहानि का दावा कर केस कर दिया. वहीं, इस मामले में अदालत ने कहा कि जिस परियोजना पर सवाल उठाये गये, उसे कर्नाटक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में बरकरार रखा.

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Posted by: Pritish sahay

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