नयी दिल्ली : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन का मानना है कि चीन अपने सभी दायरों में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए ‘आक्रामक’ तरीके से काम कर रहा है. बोल्टन का कहना है कि चीन इसके लिए न केवल राजनीतिक और सैन्य तरीकों बल्कि ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल का भी इस्तेमाल कर रहा है, ताकि वह दूसरे देशों को अपने दबदबे में ले सके और वे उस पर आर्थिक रूप से निर्भर हो जाएं. बोल्टन का यह भी मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले चार महीनों के दौरान ऐसी सभी चीजों से परहेज करेंगे, जो उनके चुनाव को और जटिल बनाये, जो पहले से ही उनके लिए एक मुश्किल चुनाव है.
बोल्टन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ट्रंप को भारत और चीन के बीच दशकों के दौरान हुई सीमा झड़पों के इतिहास की कोई जानकारी है. बोल्टन ने कहा कि हो सकता है कि ट्रंप को इस बारे में जानकारी दी गयी हो, लेकिन वह इतिहास को लेकर सहज नहीं हैं. बोल्टन ट्रंप प्रशासन में अप्रैल 2018 से सितंबर 2019 तक अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहार थे.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वह अगले चार महीनों के दौरान ऐसी सभी चीजों से परहेज करेंगे, जो उनके चुनाव को और जटिल बनाए. पहले से ही उनके लिए एक मुश्किल चुनाव है.’ उन्होंने कहा कि इसलिए वह (ट्रंप) यह चाहेंगे कि सीमा पर शांति रहे, चाहे इससे चीन का लाभ हो या भारत को. उनके दृष्टिकोण से कोई भी खबर अच्छी खबर नहीं है.’
बोल्टन ने एक सवाल पर कहा कि चीन अपने सभी दायरों में आक्रामक तरीके से व्यवहार कर रहा है, निश्चित तौर पर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में भी. उन्होंने कहा कि जापान के साथ उसके संबंध खराब हुए हैं. भारत के साथ संबंध के बारे में आप तथ्यों से अवगत हैं. मेरा मानना है कि यह चीन का न केवल राजनीतिक और सैन्य तरीकों से बल्कि ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल एवं अन्य तरीकों के जरिये अपना दबदबा कायम करने का प्रयास है, ताकि वह अन्य देशों को अपने दबदबे में ले सके और वे देश उस पर आर्थिक तौर पर निर्भर हो जाएं.
उन्होंने कहा कि श्रीलंका और पाकिस्तान तथा मध्य एशिया के कई देश इसमें फंसे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि चीन के पास एक वृहद रणनीति है, जिस पर वह काम कर रहा है. अमेरिका और कई अन्य देशों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. बोल्टन ने कहा कि यह समय जागने और आपस में बात करने का है. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत, जापान और अमेरिका के बीच एक वृहद त्रिपक्षीय सहयोग के पैरोकार रहे हैं और मुझे लगता है कि यह बहुत मायने रखता है.
ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का किस हद तक समर्थन करने के लिए तैयार हैं, इस मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि वह क्या निर्णय लेंगे और मुझे नहीं लगता कि उन्हें भी इस बारे में पता है. मुझे लगता है कि वह चीन के साथ भू-रणनीतिक संबंध देखते हैं, विशेष रूप से व्यापार के चश्मे से.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि ट्रंप नवंबर के चुनाव के बाद क्या करेंगे. वह बड़े चीन व्यापार समझौते पर वापस आएंगे. यदि भारत और चीन के बीच चीजें तनावपूर्ण बनती हैं, तो मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि वह क्या करेंगे.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि यदि भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता है, तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का समर्थन करेंगे, बोल्टन ने कहा, ‘हां यह सही है.’ भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले आठ सप्ताह से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर गतिरोध उत्पन्न था. गलवान घाटी में उस हिंसक झड़प के बाद तनाव और बढ़ गया, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. क्षेत्र में तनाव में कमी लाने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ सप्ताह के दौरान कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बाचतीत के कई दौर हो चुके हैं.
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Posted By : Vishwat Sen