राफेल सौदा को लेकर एक बार फिर जांच की प्रक्रिया शुरू होगी. इस सौदे में कई बड़े वीवीआईपी का नाम शामिल है. भारत के साथ लगभग 59 हजार करोड़ रुपये के सौदे में कई लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. इस मामले पर नयी सिरे से फ्रांस की सरकार जांच कर रही है इसके लिए नये फ्रांसीसी जल को नियुक्त कर दिया गया है.
इस सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर एक वेबसाइट में रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी. मामला जब तेजी से उठने लगा तो इस पर जांच की मांग हुई. रिपोर्ट में यह कहा गया था कि दो देशों के बीच हुई डील में अनियमितता है.
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इस पूरे मामले पर चल रही जांच को वित्तीय अपराध शाखा के पूर्व प्रमुख इलियाने हाउलेट ने रोक लगा दी थी. इस रोक को लेकर उनके सहयोगियों ने आपत्ति दर्ज की थी लेकिन हाउलेट ने कामकाज को संरक्षित करने के नाम पर उस पर रोक लगा दी और सही ठहराया था.
इस पूरे मामले में अब नये सिरे से चलने वाली जांच मुख्य रूप से तीन लोगों के इर्दगिर्द होगी. इस जांच के दायरे में पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद (सौदे पर हस्ताक्षर किया था), वर्तमान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (तत्कालीन वित्त मंत्री) और विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन शामिल हैं. इस सौदे को लेकर ना सिर्फ फ्रांस में बल्कि भारत में भी बवाल मचा है. इस पूरे विवाद पर कांग्रसे ने सरकार पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा है.
जैसे ही फ्रांस के मीडियापार्ट में यह खबर सामने आयी कांग्रेस ने इस पूरे सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल कियाा. इस पूरे विवाद में 11 लाख यूरो की दलाली का आरोप लगा था. इस पूरे मामले पर कांग्रेस की तरफ से उठाये जा रहे सवालों पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, समझौते के वक्त इसका उल्लेख किया गया था इसमें कोई बिचौलिया नहीं होगा. इस बात का विशेष ध्यान रखा गया था.
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साल 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस के साथ यह समझौता किया था जिसमें 36 राफेल विमान खरीदे गये थे. अबतक 12 राफेल विमान भारत को मिल गये हैं. इस डील को लेकर भारत में भी खूब हंगामा मचा था. एक बार फिर इस पूरे मामले की जांच शुरू हो रही है.