Tipu Sultan Jayanti, Birth Anniversary, History, Parichay, Interesting Facts: 18वीं सदी के सबसे बड़े मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर यानी आज ही के दिन सन् 1750 में हुआ था. कर्नाटक के देवनहल्ली में जन्मे टीपू सुल्तान भारतीय इतिहास के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक माने जाते हैं. आपको बता दें कि 7 दिसंबर 1782 में पिता हैदर अली की मौत के बाद भी मैसूर के शासक के रूप में उभरे. उन्होंने कम उम्र में ही युद्ध की सभी कलाएं सीखी और पहली बार 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जिसमें वे जीत भी गए.
इन्हें मिसाइल मैन के रूप में भी कहा जाता है. इनके रॉकेट आज भी लंदन के साइंस म्यूजियम में संभाल कर रखे हुए हैं. इनकी तलवार पर रत्न जड़ित बाघ बना हुआ रहता था. तलवार ही नहीं सिहांसन से लेकर सभी उनके पहचान का छाप ही बाघ की आकृति थी. हाल ही में वर्ष 2003 में 21 करोड़ में इनकी इस तलवार को विजय माल्या ने खरीदी थी. तलवार का कुल वजन करीब 7.5 किलो था. अंग्रेजों से लड़ते हुए इनकी मृत्यु हुई थी.
4 मई सन 1799 में मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम में अंग्रेजों से युद्ध के दौरान वे बुरी तरह घायल हो गए थे जिसके बाद उनकी मौत हो गयी. कुल चार बार अंग्रेजों से युद्ध करने वाले टीपू सुल्तान को देश का पहला स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा. आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें….
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इनकी मौत पर ब्रिटेन में जश्न मनाया गया था. कहा जाता है कि टीपू सुल्तान को अंग्रेज खतरा से कम नहीं मानते थे.
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टीपू सुल्तान पश्चिम बंगाल विज्ञान और टेक्नोलॉजी के प्रेमी भी कहा जा सकता है. उन्होंने फ्रांस की गन मेकर से लेकर घड़ी बनाने वाले और इंजीनियर व एक्सपर्ट को मैसूर बुलाया था और पीतल के तोप व अन्य हथियार बनाने की कारखाना की स्थापना करवाई थी.
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उनके द्वारा पेश की गयी लगभग हर उत्पाद में शेर का चिन्ह जरूर होता था. चाहे वो उनका सिंहासन हो, कपड़े, तलवार, सिक्के व सैनिकों तक के कपड़े हो.
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उन्होंने ख्वाबनामा नामक एक किताब लिखी थी. जिसमें अपने सपनों और युद्ध से जुड़ी ससांकेतिक चित्र को दर्शाया था.
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ऐसी मान्यता है कि उनके पूर्वजों का जन्म भारत में तीसरी पीढ़ी में हुआ था. वे मूल रूप से दक्षिणी भारतीय थे.
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उनके मुख्यमंत्री से लेकर कई सभा के सदस्य हिंदू भी हुआ करते थे.
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उन्होंने हिंदू मंदिरों को संरक्षण भी देने का काम किया था. श्रीरंगनाथ का मंदिर हो या श्रृंगेरी मठ उन्हीं के संरक्षण में था.
Posted By: Sumit Kumar Verma