Rafale Deal India Latest News भारत-फ्रांस के बीच हुए राफेल सौदे को लेकर ऑनलाइन पत्रिका मीडियापार्ट ने नया दावा किया है. फ्रांस की पब्लिकेशन मीडियापार्ट के मुताबिक, फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन ने 36 एयरक्राफ्ट की डील के लिए एक बिचौलिए को 7.5 मिलियन यूरो कमीशन दिया था. मीडियापार्ट ने दावा किया है कि इसके दस्तावेज होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने इस मामले में जांच शुरू नहीं की.
ऑनलाइन पत्रिका मीडियापार्ट ने फेक इनवॉयस पब्लिश कर दावा किया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने डील कराने के लिए भारतीय बिचौलिए सुशेन गुप्ता को करीब 65 करोड़ रुपए यानि 7.5 मिलियन यूरो की रिश्वत दी थी. इसकी जानकारी सीबीआई और ईडी को भी थी. हालांकि, उनकी तरफ से इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया. रिपोर्ट के मुताबिक, दस्तावेजों के होने के बावजूद भारतीय जांच एजेंसियों ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया.
बता दें कि भारत ने फ्रांस से 59,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल विमान का सौदा किया था. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सुशेन गुप्ता ने दसॉ एविएशन के लिए इंटरमीडियरी के तौर पर काम किया. सुशेन गुप्ता की मॉरिशस स्थित कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीस को 2007 से 2012 के बीच दसॉ से 7.5 मिलियन यूरो मिले थे. पब्लिकेशन ने खुलासा किया है कि मॉरिशस सरकार ने 11 अक्टूबर 2018 को इससे जुड़े दस्तावेज सीबीआई को भी सौंपे थे. जिसे बाद में सीबीआई ने ईडी से भी साझा किया था.
पांच महीने पहले मीडियापार्ट ने बताया था कि राफेल सौदे में संदिग्ध ‘भ्रष्टाचार और पक्षपात’ की जांच के लिए एक फ्रांसीसी न्यायाधीश को नियुक्त किया गया था. अप्रैल 2021 की एक रिपोर्ट में ऑनलाइन पत्रिका ने दावा किया कि उसके पास ऐसे दस्तावेज हैं. जिसमें दिखाया गया है कि दसॉल्ट और उसके औद्योगिक साझेदार थेल्स ने बिचौलिए गुप्ता को राफेल डील के संबंध में सीक्रेट कमीशन में कई मिलियन यूरो का भुगतान किया था.
अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश भुगतान 2013 से पहले किए गए थे. सुशेन गुप्ता से जुड़े एक अकाउंट स्प्रेडशीट के अनुसार, डी नाम की एक कंपनी, जो कि एक कोड है, जिसे वह नियमित रूप से दसॉल्ट के लिए उपयोग करता है, ने 2004-2013 की अवधि में सिंगापुर में शेल कंपनी इंटरदेव को 14.6 मिलियन यूरो यानि 125.26 करोड़ रुपये का भुगतान किया.
रिपोर्ट में कहा गया कि इंटरदेव एक शेल कंपनी थी और यह रियल एक्टिविटी में शामिल नहीं थी तथा इसे गुप्ता परिवार के लिए एक स्ट्रॉमैन द्वारा चलाया जाता था. दरअसल, शेल कंपनियां वे कंपनियां होती हैं, जो आम तौर पर कागजों पर चलती हैं और पैसे का भौतिक लेनदेन नहीं करतीं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गुप्ता से संबंधित एक अन्य अकाउंट स्प्रैडशीट के अनुसार, जिसमें केवल 2004 से 2008 के दौरान का लेखा-जोखा है, थेल्स ने दूसरी शेल कंपनी को 2.4 मिलियन यूरो यानि करीब 20 करोड़ का भुगतान किया.
फ्रांसीसी मीडिया प्रकाशन मीडियापार्ट ने अप्रैल में ही देश की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए खबर प्रकाशित की थी कि राफेल के 50 रिप्लिका मॉडल तैयार करने के लिए दसॉल्ट एविएशन ने भारतीय बिचौलिए गुप्ता को 1 मिलियन यूरो की रिश्वत दी थी. केंद्र की एनडीए सरकार ने फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे को लेकर कई सवाल खड़े किये थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. बता दें कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था. इन सबके बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरव वल्लभ ने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बार-बार कहा है कि हम पूरे सौदे की सही और निष्पक्ष जांच चाहते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी कि मोदी सरकार इस सौदे के जरिए भ्रष्टाचार में कैसे शामिल थी. इस सौदे में अब सरकार पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है.
Also Read: उपहार अग्निकांड केस: सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में अंसल बंधुओं को 7 साल की सजा