मॉस्को : पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के बीच रूस पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने वहीं से चीन पर निशाना साधा है. राजनाथ सिंह ने मॉस्को में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) में हिस्सा लिया. एससीओ में उन्होंने चीन को इशारों ही इशारों में कड़ा संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शांति के लिए आक्रामक तेवर को कम करना होगा. एससीओ क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति सम्मान, सहयोग और मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान महत्वपूर्ण है.
राजनाथ ने चीन के साथ-साथ पाकिस्तान को भी आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा. पाकिस्तान का नाम लिए बगैर राजनाथ ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी प्रारूपों और इसका समर्थन करने वालों की स्पष्ट तौर पर निंदा करता है. अतिवादी दुष्प्रचार और कट्टरवाद से मुकाबले के लिए एससीओ द्वारा आतंक रोधी तंत्र को अंगीकृत किया जाना एक महत्वपूर्ण फैसला है. उन्होंने कहा कि भारत एससीओ क्षेत्रीय आतंक रोधी ढांचे के कार्यों को महत्व देता है.
इसी प्रकार चीन का नाम लिए बिना राजनाथ ने कहा कि पारंपरिक और गैर पारंपरिक दोनों तरह के खतरों से निपटने के लिए हमें संस्थागत क्षमता की आवश्यकता है. शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित एससीओ क्षेत्र के लिए विश्वास का माहौल, गैर आक्रामकता और एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता महत्वपूर्ण है.
अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति अभी भी चिंताजनक है. अफगान नेतृत्व वाली और अफगान नियंत्रित शांति प्रक्रिया की दिशा में भारत अफगानिस्तान के लोगों और सरकार का समर्थन करता रहेगा. भारत फारस की खाड़ी में हालात को लेकर काफी चिंतित है. हम खाड़ी क्षेत्र के देशों को आपसी सम्मान और संप्रभुता पर आधारित वार्ता के जरिए मतभेद सुलझाने का आह्वान करते हैं.
पूर्वी लद्दाख में बढ़ते तनाव के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मंत्रीस्तरीय बैठक के इतर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार शाम अपने चीनी समकक्ष वेई फेंघे से बातचीत कर सकते हैं. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी. मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहली उच्चस्तरीय बैठक होगी.
हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विवाद को लेकर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से टेलीफोन पर बातचीत की थी. सिंह और वेई एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को मॉस्को में हैं. सूत्रों ने कहा कि इस बैठक के लिए चीनी रक्षा मंत्री की तरफ से अनुरोध किया गया है. एक सूत्र ने कहा, ‘बैठक होने की संभावना है.’
पूर्वी लद्दाख में कई जगह भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है. तनाव तब और बढ़ गया था जब पांच दिन पहले पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जे का असफल प्रयास किया वह भी तब जब दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य बातचीच के जरिए विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.
भारत पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले इलाकों पर मुस्तैद है और चीन की किसी कार्रवाई को नाकाम करने के लिये ‘फिंगर-2′ और ‘फिंगर-3′ में अपनी मौजूदगी और मजबूत की है. चीन ने भारत के कदम का कड़ा विरोध किया है. चीन की इस हिमाकत के बाद भारत ने संवेदनशील क्षेत्र में अतिरिक्त जवानों और हथियारों को तैनात किया है. सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी फिलहाल दो दिन के लद्दाख दौरे पर हैं.
Posted By: Amlesh Nandan