नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ‘पांच प्राण’ की चर्चा की, जिसमें से एक प्राण ‘नागरिकों का कर्तव्य’ भी शामिल है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत का प्रधानमंत्री से लेकर आम आदमी तक सबसे पहले देश का नागरिक होता है और हर नागरिक को अपने कर्तव्यों का बोध होना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले के प्राचीर से अपने संबोधन में ‘नागरिक कर्तव्य’ के बारे में बहुत ही गूढ़ और संवैधानिक कर्तव्यों की चर्चा, जिसे देश के प्रत्येक व्यक्ति को जानना और समझना चाहिए. आइए, हम जानते हैं कि भारत के संविधान में देश के नागरिकों के कितने कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं और वे कौन-कौन से कर्तव्य हैं.
भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों का अनुच्छेद 51(क) एवं भाग 4 (क) में वर्णित किया गया है. वर्ष 1976 में संविधान के 42वें संशोधन में सरदार स्वर्ण सिंह की अनुशंसा पर कई मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया है. इन्हें भी अनुच्छेद 51(क) एवं भाग 4 (क) में रखा गया. वर्तमान समय में भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है. इन मौलिक कर्तव्यों का पालन करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है. मौलिक कर्तव्य में राष्ट्र की भावना एवं संप्रभुता को बढ़ावा देते हैं.
मौलिक कर्तव्यों का उद्देश्य है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने प्रत्येक कार्य एवं प्रत्येक लक्ष्य के आगे राष्ट्रहित एवं राष्ट्र की स्वतंत्रता एवं संप्रभुता होनी चाहिए. भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्य के अंतर्गत भारतीय संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, राष्ट्रगान के प्रति आदर सम्मान का भाव एवं सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा एवं देखभाल करने जैसे कर्तव्य शामिल है.
-
प्रत्येक नागरिकों का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें.
-
स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें.
-
भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें.
-
देश के सभी नागरिक रक्षा करें.
-
भारत के सभी लोगों में समरसता और भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें.
-
प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करें.
-
हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका निर्माण करें.
-
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करें.
-
सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें.
-
व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें.
-
माता-पिता और संरक्षक द्वारा 6 से 14 आयुवर्ष के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य है. (इसे संविधान के 86वें संशोधन में जोड़ा गया है.)