वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण शवों का अंतिम संस्कार करने में परिजनों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वाराणसी में गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट और दूसरे सबसे बड़े श्मसान घाट हरिश्चंद्र घाट पर लोग परेशान हो रहे हैं. शवों का अंतिम संस्कार गलियों में किया जा रहा है.
वाराणसी में गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण, प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट पर छतों पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है. बनारस के दूसरे बड़े श्मशान घाट हरिश्चंद्र घाट पर ऐसी व्यवस्था नहीं है लिहाजा यहां शवों का अंतिम संस्कार गलियों में करना मजबूरी है, जिसके कारण स्थानीय लोग खासे परेशान हैं. pic.twitter.com/RFbloVGAxM
— Suryakant (@suryakantvsnl) August 4, 2021
बनारस में गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण मणिकर्णिका घाट पर छतों पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जबकि हरिश्चंद्र घाट पर शवों का अंतिम संस्कार गलियों में किया जा रहा है. श्मशान घाट तक पानी आ जाने से जगह की व्यवस्था नहीं होने पर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है.
शवों के अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे लोगों की की लंबी कतारें लग जा रही हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, तकनीकी खराबी के कारण गैस आधारित श्मशान घाट पिछले कई दिनों से बंद है. गलियों में अंतिम संस्कार किये जाने से पूरा मोहल्ला धुएं और प्रदूषण से भर जा रहा है.
शवदाह करनेवालों ने बताया है कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से घाट डूब जाते हैं. इसलिए गलियों में शव का अंतिम संस्कार करना पड़ता है. ऐसा पहली बार नहीं है. हर साल बाढ़ आने पर यही स्थिति होती है. सरकार की ओर से भी हर साल आश्वासन तो दिया जाता है कि शवदाह के लिए प्लेटफॉर्म ऊंचा किया जायेगा, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हो पाया है.
मालूम हो कि मोक्ष के लिए हिंदू धर्मावलंबी शव का दाह संस्कार करने के लिए पवित्र शहर होने के कारण बनारस पहुंचते हैं. बनारस में उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र के अलावा बिहार से सटे जिलों के लोग भी शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए बनारस पहुंचते हैं.