Future Pandemic: दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर आगे बढ़ चुकी है. लेकिन इस महामारी के बाद भविष्य में ऐसे खतरे से निपटने को लेकर वैश्विक स्तर पर चर्चा जारी है. भविष्य में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के उपायों को लेकर विशेषज्ञ शोध कर रहे हैं. इस बाबत दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया का कहना है कि दुनिया भावी महामारी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सटीक डेटा सर्विलांस के जरिये रोक सकती है. चीन के वुहान से कोरोना दुनिया में इसलिए फैल गयी क्योंकि वुहान में सर्विलांस डेटा की कमी थी. जबकि किसी महामारी से निपटने के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्विलांस डेटा का होना जरूरी है.
डेटा के जरिये हम वायरस के फैलाव की सटीक जानकारी हासिल कर सकते हैं. सटीक डेटा होने से वायरस के फैलाव को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जा सकता है. दिल्ली में एक अंग्रेजी पत्रिका द्वारा स्वास्थ्य पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुलेरिया ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग बढ़ता जा रहा है. इस तकनीक का प्रयोग कर कई रोगों का सटीक तरीके से रोकथाम किया जा सकता है.
स्वास्थ्य सेवा है कला और साइंस का संगम
गुलेरिया ने कहा कि जब विश्व में कोरोना महामारी आयी, उस समय में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग व्यापक पैमाने पर नहीं हो रहा था. दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदे को नहीं जान रही थी. साथ ही वुहान में क्लस्टर डेटा उपलब्ध नहीं थी. वुहान से ही कोरोना पहले इटली फिर यूरोप और बाकी देशों तक फैला. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्लस्टर डेटा से कुछ असामान्य को ट्रैक कर सकता है.
अगर उस समय बेहतर सर्विलांस सिस्टम होता तो कोरोना महामारी को रोका जा सकता था. वैश्विक स्तर पर समय पर कोरोना वायरस की जानकारी नहीं देने को लेकर चीन की आलोचना हुई. चीन कई महीनों तक कोरोना वायरस के बारे में इंकार करता रहा. इस दौरान यह यूरोप और दूसरे देशों में फैल गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी समय पर अलर्ट जारी नहीं करने को लेकर आलोचना की गयी.
मरीज के साथ बेहतर संवाद जरूरी
कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली एम्स ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर एक एप विकसित करने पर काम किया. इस दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व को समझने में मदद मिली. हालांकि गुलेरिया ने कहा कि मरीज को देखने के लिए व्यक्तिगत संवाद बेहद जरूरी है. डॉक्टर के लिए मरीज ‘सेंटर ऑफ अटेंशन’ होता है. इस दौरान मरीज और डॉक्टर के बीच विस्तृत बातचीत होती है. स्वास्थ्य सेवा कला और साइंस दोनों का संगम है. इस मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दायरा सीमित है.