कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू-कश्मीर में होगी G-20 की बैठक, केंद्रीय मंत्री ने कहा- ये घाटी में बदलाव का सबूत
सोमवार 22 मई से श्रीनगर में शुरू होने वाली जी-20 बैठक लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. G20 मीटिंग को लेकर कश्मीर में हाई अलर्ट है. इसमें करीब 100 डेलीगेट्स हिस्सा लेंगे. धारा 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बड़ी बैठक.
सोमवार 22 मई से श्रीनगर में शुरू होने वाली जी-20 बैठक लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. G20 मीटिंग को लेकर कश्मीर में हाई अलर्ट है. G20 की यह बैठक श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) में होगी. इसमें करीब 100 डेलीगेट्स हिस्सा लेंगे. मीटिंग के मद्देनजर यहां हवा, पानी और जमीन सब जगह स्पेशल फोर्सेस की चौकस नजर है. भारतीय सेना के साथ ही BSF, CRPF, SSB और जम्मू-कश्मीर पुलिस को भी तैनात किया गया है.
जी20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक के लिए विस्तृत व्यवस्था
आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर में अधिकारियों ने शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में तीसरी जी20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक के लिए विस्तृत व्यवस्था की है. इसके लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कम से कम 60 प्रतिनिधि और 20 पत्रकार आने वाले हैं. अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त होने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किये जाने के बाद कश्मीर में यह पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक हो रही है.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा घाटी देश के अन्य शहरों की तरह गतिविधि की समान धारा में हैं
वहीं, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीनगर में सोमवार से शुरू हो रही जी 20 बैठक भारत के लिए जम्मू-कश्मीर के बदले हुए परिदृश्य को दिखाने का अवसर है, जो पहले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के साए में था. उन्होंने कहा- ‘‘यह इस बात का संकेत है कि अब जम्मू-कश्मीर और कश्मीर घाटी देश के अन्य शहरों की तरह गतिविधि की समान धारा में हैं, जबकि कुछ साल पहले इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का केंद्र माना जाता था. हैरदाबाद, गुड़गांव या कहीं और आयोजित हुई जी20 बैठक की तरह श्रीनगर में भी बैठक हो रही है.’’ सिंह ने कहा, ‘‘मोदी की प्रतिबद्धता एवं उनके दृढ़ विश्वास के कारण जम्मू-कश्मीर के बदले हुए परिदृश्य को प्रदर्शित करने का भारत के लिए एक अवसर भी है.’’
कश्मीरी युवा इस अवसर को खोना नहीं चाहता- केंद्रीय मंत्री
सिंह ने कहा, ‘‘कश्मीरी युवा इस अवसर को खोना नहीं चाहता और वह क्षेत्र में हो रहे बदलाव का हिस्सा बनना चाहता है.’’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग जी20 बैठक को लेकर उत्साहित हैं. ‘‘कुछ साल पहले, कश्मीर का दौरा करना लगभग निषिद्ध था. इस तरह के आयोजन (सम्मेलन और बैठकें) 1990 के बाद से वस्तुत: बंद हो गए थे.’’ श्रीनगर में हो रही जी20 बैठक में चीन के शामिल न होने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि इस मामले में विदेश मंत्रालय का टिप्पणी करना उचित होगा.
चाइना ने किया बहिष्कार, भारत ने किया पलटवार
इधर चाइना ने इस बैठक में जाने से इंकार कर दिया है. वहां के विदेश मंत्रालय ने ऑफिशल बयान जारी कर मीटिंग का बॉयकाट की पुष्टि की. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वैनबिन ने कहा, चीन विवादित क्षेत्र पर किसी भी प्रकार की जी-20 बैठक का पूरी तरह से विरोध करता है. चीन के इस बयान पर भारत ने आपत्ति जताई है. भारत ने पड़ोसी देश को जवाब देते हुए कहा, वह अपने क्षेत्र में बैठकें आयोजित करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है. इससे पहले मार्च में जब अरुणाचल प्रदेश में जी-20 मीटिंग आयोजित की गई थी. तब भी चीन ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया था, तब पाकिस्तान ने चीन के इस बॉयकाट का समर्थन किया था.
धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बड़ी बैठक
तुर्की और सऊदी अरब दोनों OIC के सदस्य हैं. ये देश पाकिस्तान की तरह जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए भारत पर आरोप लगाते रहे हैं. हालांकि, तीन G20 सदस्य देशों की अनुपस्थिति को G20 बैठक की मेजबानी करने के भारत के निर्णय के संदर्भ में तीन देशों द्वारा एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि अगस्त 2019 में धारा 370 हटाने के बाद से जम्मू और कश्मीर में पहला बड़ा इंटरनेशनल प्रोग्राम है.
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