G20: भारत ने G20 देशों के भ्रष्टाचार रोधी कार्य समूह की गुरुग्राम में आज आयोजित बैठक में भगोड़े आर्थिक अपराधियों का त्वरित प्रत्यर्पण और चोरी की संपत्ति की विदेशों से जब्ती सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय समन्वय के बजाय बहुपक्षीय कार्रवाई पर जोर दिया. भारत के तरफ से इस पर जोर दिया जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि देश हीरा कारोबारी नीरव मोदी और कारोबारी विजय माल्या सहित भगोड़े आर्थिक अपराधियों को विभिन्न देशों से प्रत्यर्पित कराने का प्रयास कर रहा है. उद्घाटन सत्र में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भ्रष्ट लोग अपराध से अर्जित आय को ठिकाने लगाने का एक तरीका ढूंढ़ते हैं और ‘‘यह ऐसी रकम है, जिसका इस्तेमाल गलत कृत्यों में किया जाता है.’’ सिंह ने कहा, “यह आंतकवादी वित्त पोषण के प्रमुख स्रोतों में से एक है.
युवाओं का जीवन बर्बाद करने वाले मादक पदार्थों के उत्पादन से लेकर मानव तस्करी तक, लोकतंत्र को कमजोर करने वाली गतिविधियों से लेकर अवैध हथियारों की बिक्री तक, यह काली कमाई कई विनाशकारी कृत्यों का वित्त पोषण करती है. उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय को G20 देशों के बीच सूचनाओं के सक्रिय आदान-प्रदान के जरिये संपत्ति की जब्ती के लिए और भी तेजी से काम करने की जरूरत है. केंद्रीय मंत्री ने कहा- इसलिए बेहतर समन्वय, न्यायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित बनाने और मामलों के समय पर निपटान के लिए द्विपक्षीय समन्वय के बजाय बहुपक्षीय कार्रवाई की आवश्यकता है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, 2014 से भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, नितिन जयंतीलाल संदेसरा, चेतन कुमार जयंतीलाल संदेसरा, दीप्ति चेतन संदेसरा और हितेश कुमार नरेंद्रभाई पटेल हजारों करोड़ रुपये के वित्तीय अपराधों में वांछित हैं. नीरव मोदी 6,400 करोड़ रुपये से अधिक के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाला मामले में धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों में भारत में वांछित है तथा माल्या बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये के ऋण चूक मामले में आरोपों का सामना कर रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वित्तीय या बैंकिंग धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं, जिनकी जांच प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत की गई और इन मामलों में उच्च संपत्ति वाले लोग शामिल थे, जिनकी अपराध से आय एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक थी.
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जितेंद्र सिंह ने कहा कि जांच के दौरान पता चला कि अपराधी अपराध का पता चलने से पहले या बाद में देश छोड़कर भाग गए और यही कारण है कि उनकी यात्रा को प्रतिबंधित करने के मकसद से उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया. उन्होंने कहा, “प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लगभग 180 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति हस्तांतरित की है, जिन्हें कथित रूप से अत्यधिक संपन्न व्यक्तियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के कारण लगभग 272 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है. मंत्री ने कहा कि अनुरोध पत्र (एलआर) के जरिये विदेशी प्रशासन से संपत्ति से जुड़ी जानकारी जुटाने की प्रक्रिया शुरू करने के बावजूद यह पाया गया है कि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया बेहद लंबी और जटिल बनी रहती है, जिससे अपराध की जांच और सुनवाई में देरी होती है.
जितेंद्र सिंह ने कहा- यह हमारा सुविचारित मत है कि देश और विदेश, दोनों में अपराध से अर्जित आय या संपत्ति की त्वरित जब्ती के लिए तंत्र को मजबूत किए जाने से अपराधी अपने देश लौटने के लिए मजबूर हो जाएंगे. सिंह ने कहा कि ऐसा होने से, संबंधित अपराध की प्रभावी जांच और त्वरित सुनवाई में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा- इससे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों व कर अधिकारियों को ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों द्वारा की गई चूक से जब्ती करने में मदद मिलेगी. साथ ही संबंधित राशि के दुरुपयोग की आशंका समाप्त करते हुए इन बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की स्थिति में कुछ हद तक सुधार लाया जा सकेगा.
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जितेंद्र सिंह ने भ्रष्टाचार को सभी देशों को प्रभावित करने वाली एक जटिल सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक चुनौती करार दिया. उन्होंने कहा- वैश्वीकृत दुनिया में, भ्रष्टाचार का असर G20 के दायरे तक सीमित नहीं है. यह संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, बाजार में विकृतियां पैदा करता है, नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर डालता है, वैश्वीकरण के लाभों को कमतर करता है और आर्थिक विकास एवं समग्र शासन को प्रभावित करता है. यह गरीबों और हाशिये पर रहने वाले लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विकसित भारत के लिए ऐसा प्रशासनिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की परिकल्पना की है, जिसमें भ्रष्टाचार के प्रति ‘कतई बर्दाश्त न करने’ वाली नीति हो. उन्होंने कहा, “उनसे (मोदी से) प्रेरणा लेते हुए भारत की G20 अध्यक्षता का लक्ष्य भ्रष्टाचार के व्यापक मुद्दे का समाधान करने के लिए व्यावहारिक कार्रवाई-उन्मुख कदमों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि भ्रष्टाचार निरोधी मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत किया जा सके और भ्रष्ट लोगों तथा भ्रष्टाचार का मुकाबला करने की G20 समूह की प्रतिबद्धता को गहरा किया जा सके. सिंह ने कहा कि वैश्विक आर्थिक सहयोग के प्राथमिक मंच के रूप में G20 को भ्रष्टाचार के खतरे से निपटने की दिशा में वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी लेनी होगी.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2010 में अपनी स्थापना के बाद से, G20 भ्रष्टाचार रोधी कार्य समूह (एसीडब्ल्यूजी) सभी तरह के भ्रष्टाचार का समाधान करने में सबसे आगे रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर कहा है कि -एक सुरक्षित दुनिया हमारी साझा जिम्मेदारी है, और ‘‘जब अच्छी ताकतें सहयोग करती हैं, तो अपराध की ताकतें काम नहीं कर सकतीं. मंत्री ने जोर दिया कि भारत की G20 अध्यक्षता G20 देशों के बीच संपत्ति की वसूली और सूचना साझा करने पर एक प्रभावी, कुशल और उत्तरदायी तंत्र प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी. उन्होंने कहा- यह महत्वपूर्ण है कि सभी राष्ट्र भ्रष्टाचार के खिलाफ एक समान दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करें. साथ ही उन्होंने कहा कि इटली की सह-अध्यक्षता में कार्य समूह ‘‘भ्रष्टाचार को रोकने और मुकाबला करने के उद्देश्य से ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेगा.