‘हमें इसकी उम्मीद नहीं थी’, दिल्ली घोषणापत्र पर रुस हैरान, चीनी पीएम के लिए मुश्किल रहे दो दिन
सभी देशों ने इस सम्मेलन को सफल बताया है. पीएम मोदी ने सभी का धन्यवाद भी किया है. इसी बीच रूस की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आ गई है. रूस ने नई दिल्ली घोषणापत्र में प्रयोग किए शब्दों के लिए हैरानी जताते हुए कहा है कि ऐसे घोषणापत्र की तो उन्हें उम्मीद ही नहीं थी.
Russia On G20 Summit: भारत की अध्यक्षता में हुए दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन समाप्त हुआ. अब ऐसे में दुनियाभर की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. लगभग सभी देशों ने इस सम्मेलन को सफल बताया है. पीएम मोदी ने सभी का धन्यवाद भी किया है. इसी बीच रूस की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आ गई है. रूस ने नई दिल्ली घोषणापत्र में प्रयोग किए शब्दों के लिए हैरानी जताते हुए कहा है कि ऐसे घोषणापत्र की तो उन्हें उम्मीद ही नहीं थी. उन्होंने भारत की सराहना करते हुए सम्मेलन को सफल बताया.
‘जी20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध को हावी नहीं होने दिया’
बता दें कि मीडिया को संबोधित करते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत की सराहना करते हुए कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध को हावी नहीं होने दिया. आगे सर्गेई लावरोव ने कहा कि कि भारत ने जी20 एजेंडे का यूक्रेनीकरण नहीं होने दिया. रविवार को उन्होंने भारत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह शिखर सम्मेलन निश्चित रूप से सफल रहा है. वहीं, घोषणापत्र पर बनी आम सहमति पर उन्होंने कहा कि “जब सब इस पर सहमत हुए, तो शायद यह उनकी अंतरात्मा की आवाज थी. स्पष्ट रूप से कहें तो हमें इसकी उम्मीद नहीं थी.”
‘दिल्ली घोषणा अच्छे उद्देश्यों में से एक’
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यह भी कहा कि हम यूक्रेन और रूस का उल्लेख करने वाले बयानों को घोषणा के बाकी काम से अलग नहीं कर सकते. इस साल घोषणा की मुख्य लाइन ग्लोबल साउथ के एकीकरण के बारे में है. उन्होंने कहा, जी20 अपने मुख्य लक्ष्यों के लिए वास्तव में काम कर रहा है. लावरोव ने कहा, “दिल्ली घोषणा अच्छे उद्देश्यों में से एक है और हम पहले से ही रास्ते पर हैं. अपनी बारी में हम इन सकारात्मक रुझानों को मजबूत करना जारी रखेंगे, जिसमें अगले साल ब्राजील की अध्यक्षता और 2025 में दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता शामिल है.”
चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के लिए दो दिन कठिन रहे!
जी20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की जगह मुश्किल मिशन पर नयी दिल्ली आये चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के लिए संयुक्त घोषणा का समर्थन करने के लिहाज से दो दिन कठिन रहे. इस घोषणापत्र को मेजबान भारत की सबसे बड़ी सफलता करार दिया गया, जिसने यूक्रेन को लेकर चीन और रूस के मतभेदों को सफलतापूर्वक साध लिया. चीनी प्रधानमंत्री ली की कुछ पश्चिमी नेताओं के साथ हुई बैठक भी मुश्किल भरी रही विशेष रूप से इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ. मेलोनी ने रोम में अपेक्षित परिणाम लाने में विफलता के लिए चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को छोड़ने के इटली के संकल्प की ओर इशारा किया.
अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया
इसके अलावा, भारत तब सुर्खियों में आया जब नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया. इसके लिए शिखर सम्मेलन से पहले ही भारत ने सफल राजनयिक अभियान चलाया. पिछले कुछ वर्षों में चीन ने राष्ट्रपति शी की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पहल के तहत बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ अफ्रीका में बड़ी पैठ बनाई है, लेकिन ऋण स्थिरता को लेकर इसकी आलोचना हुई है खासकर छोटे देशों की ओर से.
पहले ब्रिटेन से फटकार, फिर अमेरिका ने कसा तंज
चीनी प्रधानमंत्री ली ने रविवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ एक बैठक की, जिन्होंने उन्हें जासूसी के आरोप में एक संसदीय शोधकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ब्रिटेन के लोकतंत्र में चीन के हस्तक्षेप के बारे में लंदन की चिंता से अवगत कराया. हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने विश्लेषकों के हवाले से कहा कि भारत और अमेरिका ने शी की बेवजह अनुपस्थिति का भरपूर फायदा उठाया, जो सीपीसी संस्थापक माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शी की अनुपस्थिति के बारे में कहा था, ‘‘उनका यहां होना अच्छा रहता, लेकिन शिखर सम्मेलन अच्छा चल रहा है.’’