दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 9 और 10 सितंबर को किया जा रहा है. आयोजन स्थल को भव्य तरीके से सजाया गया है. आयोजन स्थल में भगवान शिव के ‘नटराज’ स्वरूप की विशाल प्रतिमा स्थापित की गयी है. ‘नटराज’ की यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची बतायी जा रही है.
भगवान नटराज की प्रतिमा आधार सहित 28 फुट ऊंची है और धातु ढलाई की प्राचीन ‘मोम’ तकनीक का उपयोग करके इसे बनाया गया है. प्रतिमा का निर्माण करने में प्रसिद्ध चोल कांस्य का उपयोग किया गया है.
‘नटराज’ भगवान शंकर का स्वरूप है जिसमें वह ब्रह्मांड का सृजन करने और विध्वंस करने की उनकी शक्ति को ‘तांडव’मुद्रा में दिखाया गया है.
World's tallest Nataraj statue in front of G20 venue of India, 'Bharat Mandapam'.pic.twitter.com/kUHq9i7BFa
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) September 5, 2023
शिखर सम्मेलन के पहले दिन, संस्कृति मंत्रालय की परिकल्पना से तैयार ‘सांस्कृतिक गलियारे’ का भी भारत मंडपम में अनावरण किया जाएगा.
‘सांस्कृतिक गलियारे’ की अवधारणा सभी 29 देशों से ‘सर्वश्रेष्ठ और सबसे मूल्यवान कलाकृतियों को एक ही स्थान पर लाने’ से जुड़ी है, जो जी-20 के विषय वसुधैव कुटुंबकम की सार होगी. इसके अलावा गलियारा यह भी दर्शाएगा कि ‘संस्कृति सभी को जोड़ती है.
मुताबिक ‘सांस्कृतिक गलियारा – जी20 डिजिटल संग्रहालय’के हिस्से के रूप में, सभी जी20 सदस्यों और आमंत्रित देशों से प्राप्त भौतिक और डिजिटल प्रारूपों में कलाकृतियों को उसी मंजिल पर प्रदर्शित किया जाएगा जहां नेताओं की बैठकें होंगी और इस गलियारे से होकर गुजरेंगे. विश्व नेता शिखर कक्ष में जाते और बाहर निकलते समय ‘सांस्कृतिक गलियारा’को निहारेंगे.
अंतरराष्ट्रीय परियोजना के लिए अमूर्त विरासत श्रेणी में भारत की ओर से – योग, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, कांस्य ढलाई की खोई-मोम परंपरा और गुजरात के डबल इक्कत बुनाई पाटन पटोला को शामिल किया गया है.
‘सांस्कृतिक गलियारे ’ के तहत भौतिक और डिजिटल कलाकृतियों की प्रदर्शनी शिखर सम्मेलन कक्ष से लगे हॉलवे में 10,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैली होगी, जिसमें विशाल स्क्रीन लगे होंगे.
भारत से ऋग्वेद की पांडुलिपियां, ब्रिटेन से मैग्ना कार्टा की एक दुर्लभ प्रति और फ्रांस से मोनालिसा की एक एनामॉर्फिक डिजिटल छवि, अमेरिका से आजादी के घोषाणपत्र की सत्यापित मूल प्रतियां, चीन से एक फहुआ ढक्कन वाला जार ‘सांस्कृतिक गलियारे’ में प्रदर्शित की जाने वाली कलाकृतियों में शामिल होंगी.
अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में प्रस्तुत करने वाली एक प्रदर्शनी भी लगा रहा है, जो ‘हमारे 5,000 से अधिक वर्षों के इतिहास की जानकारी देगी और बताएगी कि कैसे हमने इन वर्षों में अपने लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखा और मजबूत किया है.