गलवान घाटी में शहीद पंजाब के दो जवानों का अंतिम संस्कार
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ लड़ते-लड़ते शहीद हुए पंजाब के दो सैनिकों गुरबिंदर सिंह और गुरतेज सिंह का शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
संगरूर/मनसा (पंजाब) : लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ लड़ते-लड़ते शहीद हुए पंजाब के दो सैनिकों गुरबिंदर सिंह और गुरतेज सिंह का शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
सिपाही गुरबिंदर सिंह (22) का संगरूर जिले के सुनाम के उनके पैतृक टोलावाल गांव में जबकि गुरतेज सिंह (23) का मनसा जिले की बुढलाधा तहसील के बीरे वाला डोगरा गांव में अंतिम संस्कार किया गया.
इस दौरान शहीदों के परिवारों ने नम आंखों से उन्हें विदाई देते हुए कहा कि मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले इन वीर जवानों की शहादत पर उन्हें गर्व है. सैनिकों के पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचे तो ”शहीद अमर रहे” जैसे नारे गूंज उठे. गुरबिंदर की चिता को उनके भाई ने जबकि गुरतेज की चिता को उनके पिता तथा भाई ने मुखाग्नि दी. इस दौरान सेना, पुलिस, नागरिक प्रशासन के अधिकारी और राजनीति दलों के नेता तथा बड़ी तादाद में गांववासी मौजूद रहे. इस दौरान सेना ने शहीदों को सलामी दी.
Also Read: भारत ने लापता सैनिकों पर चीन से किया सवाल चीन ने कहा, हमारे पास भारतीय सैनिक नहीं
गांव वासियों ने जवानों की शहादत को नमन करते हुए चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की. गुरबिंदर सिंह का परिवार इस साल उनकी शादी की योजना बना रहा था. इसके लिये गांव में उनके घर में काम चल रहा था.
शादी की लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. वह तिरंगे में लिपटे हुए अपने घर वापस लौटे. गुरबिंदर मार्च 2018 में सेना में भर्ती हुए थे. वह तीसरी पंजाब रेजिमेंट से थे. उनके परिवार में माता-पिता के अलावा भाई और बहन है. वह अपने परिवार में सबसे छोटे थे.
गुरबिंदर के मामा जगसीर सिंह ने बताया कि पिछले साल जब वह कुछ समय के लिये घर आए थे तो उनकी सगाई कर दी गई थी. वहीं सिपाही गुरतेज सिंह के परिवार में उनके पिता विरसा सिंह और मां प्रकाश कौर के अलावा दो बड़े भाई हैं.
Posted By- Pankaj Kumar Pathak