Galwan Valley clash: योग गुरु रामदेव का चीन के खिलाफ फूटा गुस्सा, कहा भारत चीन से रद्द करे सारे समझौते
Galwan Valley clash: चीन की इस हरकत के बाद योग गुरु बाबा रामदेव (Ramdev Baba) ने चीन के इस दुस्साहस पर कहा है कि चीन एक चालबाज और धोखेबाज देश है. भारत को चीन के साथ किए गए सारे समझौते रद्द कर देने चाहिए और जिस तरह से पाकिस्तान में अंदर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) किया गया था, उसी तरह चीन के अंदर घुसकर उसे सबक सीखाने की जरूरत है.
15-16 जून की रात को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं. भारत के 76 सैनिक घायल भी हुए हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. घायलों में 58 को हल्की चोटें पहुंची है. वहीं चीन ने हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या जारी नहीं की है. चीन की इस हरकत से देश भर में लोगों का रोष देखने को मिल रहा है.
चीन की इस हरकत के बाद योग गुरु बाबा रामदेव ने चीन के इस दुस्साहस पर कहा है कि चीन एक चालबाज और धोखेबाज देश है. भारत को चीन के साथ किए गए सारे समझौते रद्द कर देने चाहिए और जिस तरह से पाकिस्तान में अंदर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया गया था, उसी तरह चीन के अंदर घुसकर उसे सबक सीखाने की जरूरत है. इसके अलावा बाबा रामदेव ने ये भी कहा है कि सरकार को स्वदेशी पदार्थों को बढ़ावा देना चाहिए, स्वदेशी चीजों पर छूट देनी चाहिए. स्वामी रामदेव ने ये कहा कि भारत का एक भी पैसा चीन में नहीं जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि चीन के आदेश पर झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों द्वारा किया गया सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. इस मुद्दे पर राष्ट्र को एक संक्षिप्त संबोधन में, प्रधान मंत्री ने कहा कि यदि उकसाया गया तो भारत जवाब देने में सक्षम है.
पीएम मोदी ने कहा “मैं राष्ट्र को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. हमारे लिए, देश की एकता और संप्रभुता सबसे महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत शांति चाहता है लेकिन अगर उकसाया गया है तो वह जवाब देने में सक्षम है.
एचटी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन के बीच लद्दाख में चार बिंदुओं पर गतिरोध बरकरार है. 15-16 जून की रात को हुए हिंसक संघर्ष के बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं वहीं डटी हैं और पीछे नहीं हटी हैं. एक ओर जहां दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर बातचीत चल रही है, वहीं दूसरी ओर मिलिट्री इंटेलिजेंस से पता चला है कि 6 जून को सैन्य स्तर में हुई बातचीत में तय की गई पीछे हटने की योजना का चीन की सेना ने पालन नहीं किया है और वो वहीं है जहां थी.