जयपुर : राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर आगामी 1 नवंबर से प्रस्तावित आंदोलन के मद्देनजर अशोक गहलोत सरकार ने सूबे के आठ जिलों में रासुका (एनएसए) लगा दिया है. इसे लेकर गहलोत सरकार के गृह विभाग की ओर से शनिवार को बाकायदा एक अधिसूचना भी जारी की गई है. इन आठ जिलों में रासुका अधिसूचना जारी होने की तारीख से लेकर आगामी तीन महीने तक प्रभावी रहेगा.
गृह विभाग के आदेश के बाद राज्य के कोटा, बूंदी, करौली, धौलपुर, भरतपुर और टोंक समेत अन्य गुर्जर बहुल जिलों के कलेक्टर्स को एक्स्ट्रा पावर दे दी गई है. इसके साथ ही, एक नवंबर से प्रस्तावित गुर्जर आंदोलन को लेकर राजस्थान के करौली जिले में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 144 लागू कर दी गई है.
Rajasthan: Section 144 of the Criminal Procedure Code imposed in Karauli, ahead of November 1 Gurjar reservation protest
— ANI (@ANI) October 31, 2020
क्या है रासुका?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ी कर रहा है, तो वह उसे हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है. इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है.
वार्ता के लिए राजी नहीं बैंसला गुट
मीडिया की खबरों के अनुसार, राजस्थान की गहलोत सरकार ने आठ जिलों में रासुका लगाकर वार्ता में शामिल नहीं हो रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुट पर शिकंजा कस दिया है. राज्य सरकार बैंसला गुट को वार्ता के लिए लगातार बुला रही है, लेकिन बैंसला गुट वार्ता नहीं कर रहा है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि 1 नवंबर को यदि आंदोलन होता है, तो सरकार बैंसला गुट के नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है.
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