Genome India Project: ‘भारत की दुनिया में बड़े फार्मा हब के रूप में बनी पहचान’, बोले पीएम मोद 10 साल में मिली कई बड़ी उपलब्धि
Genome India Project: जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट जैव प्रौद्योगिकी क्रांति का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम एक विविध आनुवंशिक संसाधन बनाने में सफल रहे हैं. इस परियोजना में 10,000 लोगों की जीनोम डेटा जारी किया गया है. यह आनुवांशिक और संक्रामक रोगों के उपचार में मील का पत्थर साबित हो सकता है.
Genome India Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 10,000 भारतीय नागरिकों का जीनोम अनुक्रमण डेटा जारी किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यह जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा. पीएम मोदी ने कहा कि जीनोम इंडिया डेटा देश में आनुवंशिक विविधता का प्रतिनिधित्व करता है. भारतीय जैविक डेटा केंद्र के शोधकर्ताओं को यह उपलब्ध होगा. इस दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विश्व के एक बड़े फार्मा हब (Pharma Hub) के रूप में भारत ने पहचान बनाई है. करोड़ों देशवासियों को मुफ्त इलाज, जन औषधि केंद्रों से 80 फीसदी तक की छूट, आधुनिक मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण समेत बीते 10 सालों में देश ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं.
जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से द्वारा आयोजित जीनोमिक्स डेटा सम्मेलन में पीएम मोदी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि ‘मुझे खुशी है कि देश के 20 से ज्यादा शोध संस्थानों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है. इस परियोजना का डाटा 10 हजार भारतीयों का जीनोम सीक्वेंस अब इंडिया बायोलॉजिकल डाटा सेंटर में उपलब्ध है. मुझे विश्वास है कि बायो-टेक्नोलॉजी शोध के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा.’ पीएम मोदी ने कहा कि आईआईटी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद समेत जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और इनोवेशन केंद्र जैसे 20 से भी ज्यादा प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों ने इस शोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
शोध की दुनिया में भारत का ऐतिहासिक कदम- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि पांच साल पहले जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी. कोविड की चुनौतियों के बावजूद देश के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से इस प्रोजेक्ट को पूरा किया है. इस राष्ट्रीय डेटाबेस में देश के असाधारण आनुवंशिक परिदृश्य को समाहित किया गया है और यह एक अमूल्य वैज्ञानिक संसाधन के रूप में काम करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि यह आनुवांशिक और संक्रामक रोगों के उपचार में मील का पत्थर साबित हो सकता है. इससे नई दवाओं और सटीक चिकित्सा तकनीकों के विकास को बढ़ावा देगा.