कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने पुरानी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोधियों से मिलने और बातचीत करने से किसी का डीएनए बदल नहीं जाता है. पिछले दिनों आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी नेतृत्व खासकर राहुल गांधी पर निशाना साधा था. इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा था कि आजाद का रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है और उनका डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है.
आजाद ने एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस पर पलटवार किया. उन्होंने कहा, 22 राजनीतिक दलों के सांसदों ने राज्यसभा से मेरी विदाई के समय भाषण दिया था, लेकिन सिर्फ उसी बात का उल्लेख किया गया जो प्रधानमंत्री ने की थी. उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, अगर आप दूसरे राजनीतिक दलों के लोगों से मिलते हैं और उनसे बात करते हैं तो इससे आपका डीएनए नहीं बदल जाता है.
राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का हवाला देते हुए आजाद ने कहा कि यह पंरपरा है कि जब सदन के सदस्यों का कार्यकाल पूरा होता है तो सभी दलों के नेता इस मौके पर अपनी बात रखते हैं. उनका यह भी कहना था कि समय के साथ भारत की मिलीजुली संस्कृति बदल गई. आजाद ने कहा, हिंद और मुसलमान साथ रहते हैं. यह असामान्य बात नहीं है कि हिंदू अरबी और मुसलमान गीता का अध्ययन करते हैं. यही भारत की मिलीजुली संस्कृति रही है.
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गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी थी. आजाद ने अपने पत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भी जिक्र करते हुए कहा था कि वह एक असमर्थ नेता है. उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी अपने आस- पास अनुभवहीन लोगों को रखते है और वरिष्ठ नेताओं से किनारा किया हुआ है. बता दें कि आजाद से पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने भी कांग्रेस से इस्तीफा देते वक्त अपने पत्र में इस बात का जिक्र किया था.
इनपुट- भाषा