गुलाम नबी आजाद होंगे भाजपा में शामिल ? जानें इस सवाल का जवाब वरिष्‍ठ नेता ने क्‍या दिया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशकों के बाद शुक्रवार को पार्टी को अलविदा कह दिया. उन्होंने दावा किया कि देश का सबसे पुराना दल अब ‘समग्र रूप से नष्ट हो चुका है' तथा इसका नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर ‘धोखा दे रहा है.'

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2022 7:52 AM

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया. इसके बाद उनके भाजपा में जाने के कयास लगाये जाने लगे. कांग्रेस ने उनका नाम पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी जोड़ना शुरू कर दिया. इन सबके बीच गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में ‘‘जल्द ही” अपनी नयी पार्टी बनाएंगे.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह अपने समर्थकों तथा लोगों से मुलाकात करने के लिए जल्द ही जम्मू कश्मीर जाएंगे. उन्होंने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजने के बाद टीवी चैनलों से बात की. उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही जम्मू कश्मीर जाऊंगा. मैं जम्मू कश्मीर में जल्द ही अपनी पार्टी बनाऊंगा. मैं भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा में शामिल नहीं होऊंगा.

करीब पांच दशक रहे कांग्रेस के साथ

यहां चर्चा कर दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशकों के बाद शुक्रवार को पार्टी को अलविदा कह दिया. उन्होंने दावा किया कि देश का सबसे पुराना दल अब ‘समग्र रूप से नष्ट हो चुका है’ तथा इसका नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर ‘धोखा दे रहा है.’ उन्होंने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर ‘अपरिपक्व और बचकाने व्यवहार’ का भी आरोप लगाया और कहा कि अब सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गयी हैं क्योंकि फैसले राहुल गांधी के ‘सुरक्षागार्ड और निजी सहायक’ करते हैं.

इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी से इस्तीफे के पत्र के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं….

-गुलाम नबी आजाद ने 1970 के दशक में पार्टी में शामिल होने के बाद से कांग्रेस के साथ अपने लंबे जुड़ाव का उल्लेख किया.

-गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर पार्टी के भीतर परामर्श तंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया है.

-गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन ‘चापलूसों’ की नई मंडली पार्टी के मामलों में दखल देने लगी.

-गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी द्वारा सरकारी अध्यादेश को पूरे मीडिया के सामने फाड़ने को ‘अपरिपक्वता’ का ‘उदाहरण’ बताया.

-गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी की यह हरकत भी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की 2014 में हुई हार का एक कारण रही.

-गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वह पंचमढ़ी (1998), शिमला (2003) और जयपुर (2013) में हुए पार्टी के मंथन में शामिल रहे हैं, लेकिन तीनों मौकों पर पेश किये गये सलाह-मशवरों पर कभी गौर नहीं किया गया और न ही अनुशंसाओं को लागू किया गया.

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-2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना ‘‘पिछले नौ वर्षों से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के ‘स्टोररूम’ में पड़ी है.

-साल 2014 से सोनिया गांधी के नेतृत्व में और उसके बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में, कांग्रेस ‘शर्मनाक तरीके’ से दो लोकसभा चुनाव हार गई है. पार्टी 2014 और 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से 39 में भी हार गई.

-2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति खराब हुई है. चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने आवेग में आकर अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

-यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को खत्म करने वाला ‘‘रिमोट कंट्रोल मॉडल” अब कांग्रेस पर लागू होता है.

-आपके (सोनिया गांधी) पास सिर्फ नाम का नेतृत्व है, सभी महत्वपूर्ण फैसले या तो राहुल गांधी लेते हैं, या ‘‘फिर इससे भी बदतर स्थिति में उनके सुरक्षाकर्मी और निजी सहायक लेते हैं.”

-गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया, नीचा दिखाया गया.

-गुलाम नबी आजाद ने नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया.

-गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी.

भाषा इनपुट के साथ

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