गीता प्रेस को मिलेगा 2021 का गांधी शांति पुरस्कार, संस्कृति मंत्रालय ने की घोषणा, पीएम मोदी ने दी बधाई
GIta Press: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में गीता प्रेस ने सराहनीय काम किया है.
GIta Press: वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रदान किया जाएगा. गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए दिया जा रहा है. संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर की सराहना
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में गीता प्रेस ने सराहनीय काम किया है.
Prime Minister Narendra Modi congratulates Gita Press, Gorakhpur on being conferred the Gandhi Peace Prize 2021.
"They have done commendable work over the last 100 years towards furthering social and cultural transformations among the people," tweets PM Modi pic.twitter.com/i7H6c7nbN3
— ANI (@ANI) June 18, 2023
गांधी के विचारो का सम्मान
संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक, गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरूआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधीजी के प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की थी. इसी कड़ी में गांधी शांति पुरस्कार 2021 मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस ने अहम और अद्वितीय योगदान दिया है. यह गांधीवादी जीवन को सही अर्थों में व्यक्त करता है. और उन्हीं के उद्धेश्यों पर चलता है.
41करोड़ से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन
गौरतलब है कि गीता ने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें अबतक प्रकाशित की हैं. उन पुस्तकों में श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां भी शामिल हैं. बता दें, गीता प्रेस की शुरुआत साल 1923 में हुई थी. यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है. मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो. वहीं, मंत्रालय ने यह भी कहा कि पुरस्कार में एक करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु शामिल है.
भाषा इनपुट के साथ