नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि भारत में अब तक प्रति एक लाख आबादी पर कोविड-19 से मौत के करीब 0.2 मामले आए हैं जबकि दुनिया का आंकड़ा 4.1 मृत्यु प्रति लाख का है. इस बीच, मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत में संक्रमण मुक्त होने वालों की दर 38.39 फीसदी है.
देश में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मौत के मामले 3,163 पर पहुंच गए और संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 1,01,139 हो गयी. मंत्रालय ने कहा कि सोमवार को देश में कोविड-19 के लिए रिकार्ड 1,08,233 नमूनों की जांच की गयी.
अब तक कुल 24,25,742 नमूनों की जांच की जा चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थिति रिपोर्ट-119 के आंकड़ों के हवाले से मंत्रालय ने कहा कि दुनियाभर में मंगलवार तक कोविड-19 से मौत के 3,11,847 मामले आए हैं जो करीब 4.1 मृत्यु प्रति लाख आबादी हैं.
मंत्रालय ने कहा कि जिन देशों में कोरोना वायरस संक्रमण से बड़ी संख्या में लोग मारे गये हैं, उनमें अमेरिका में 87,180 लोगों की मौत हो चुकी है यानी प्रति एक लाख आबादी पर यह दर 26.6 की है.
Also Read: COVID-19 की वैक्सीन टेस्ट में पॉजिटिव रिजल्ट की खबर से उछला बाजार, सेंसेक्स में 167 अंकों की बढ़त
ब्रिटेन में 34,636 लोगों की मौत हो चुकी है और इस लिहाज से संक्रमण से मृत्यु की दर करीब 52.1 लोग प्रति एक लाख है. इटली में 31,908 लोगों की मौत के साथ यह दर करीब 52.8 मृत्यु प्रति लाख जनसंख्या, फ्रांस में मृत्यु के कुल 28,059 मामलों के साथ 41.9 मौत प्रति लाख, वहीं स्पेन में संक्रमण से 27,650 लोगों की मौत के साथ यह दर करीब 59.2 प्रति लाख है.
जर्मनी, ईरान, कनाडा, नीदरलैंड और मेक्सिको में यह दर क्रमश: लगभग 9.6, 8.5, 15.4, 33.0 और 4.0 मौत प्रति लाख आबादी है. चीन में कोविड-19 के कारण अब तक 4,645 लोगों की मौत हुई है और वहां मौत की दर करीब 0.3 मृत्यु प्रति लाख आबादी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, अपेक्षाकृत मृत्यु के कम आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में समय पर मामलों की पहचान कर उनका क्लीनिकल प्रबंधन किया गया.
Also Read: प्रवासी मजदूरों की ट्रेनों को नहीं रोक पाएंगे राज्य, MHA ने जारी किया नया गाइडलाइन
जांच के मामले में मंत्रालय ने कहा कि जनवरी में जहां केवल एक प्रयोगशाला में कोविड-19 की जांच हो रही थी, वहीं आज 385 सरकारी और 158 निजी लैब में जांच हो रही हैं. उसने कहा, केंद्र सरकार की सभी प्रयोगशालाओं, सरकारी मेडिकल कॉलेजों, निजी मेडिकल कॉलेजों और निजी क्षेत्र की यथोचित साझेदारी के साथ देश में जांच क्षमता का विस्तार किया गया है. इसके अलावा जांच बढ़ाने के लिए ट्रूनेट और सीबीएनएएटी जैसी अन्य मशीनों को भी लगाया गया है.
Also Read: चीनी वैज्ञानिक का दावा, वैक्सीन नहीं इस दवा से ही खत्म हो जाएगा कोरोना