India-China Stand Off, War in Water: चीन के साथ सीमा विवाद और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती दखलंदाजी से निबटने के लिए भारतीय नौसेना ने कमर कस ली है. इसी क्रम में रक्षा मंत्रालय ने छह आधुनिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दी है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत ‘प्रोजेक्ट-75 इंडिया’ के तहत अनुरोध पत्र (आरएफपी) जारी करने का निर्णय लिया गया. बैठक में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, रक्षा सचिव, तीनों सेना के प्रमुख और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
इस प्रोजेक्ट के तहत विदेशी कंपनियां भारत की देशी कंपनियों के साथ मिल कर छह आधुनिक पनडुब्बियों का निर्माण करेंगी. इन पर लगभग 43 हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है. भारतीय नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन नयी पनडुब्बियों को शामिल करने पर विचार कर रही है. नौसेना के पास अभी लगभग दो दर्जन पनडुब्बियां हैं, जिनमें न्यूक्लियर पनडुब्बियां भी हैं. जबकि चीन के पास 70-80 पनडुब्बियां हैं.
लगातार 15 दिन तक पानी में रह सकेंगी: प्रस्तावित स्वेदशी पनडुब्बियां ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपेलशन’ (एआइपी) वाली होंगी. यानी, इन्हें डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तरह हर चार-पांच दिन पर ऑक्सीजन के लिए सतह पर आने की जरूरत नहीं होगी. एआइपी तकनीक से पनडुब्बी लगातार 15 दिन तक पानी में रह सकती है. 43 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे इस प्रोजेक्ट पर, 18 भारी टारपीडो से लैस रहेंगी ये परंपरागत पनडुब्बियों से 50 फीसदी अधिक बड़ी होंगी और समुद्र में 18 भारी टारपीडो (जहाजों को उड़ानों के लिए इस्तेमाल होनेवाली मिसाइल) ले जाने और लांच करने में सक्षम होंगी.
इनमें एंटी शिप क्रूज मिसाइल के साथ-साथ कम से कम 12 लैंड अटैक क्रूज मिसाइल तैनात की जायेंगी. स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी की तुलना में इनके हथियारों की क्षमता कई गुना अधिक होगी. मझगांव डॉकयार्ड और एलएंडटी को दी गयी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय ने पांच विदेशी कंपनियों के साथ मिल कर इन पनडुब्बियों को बनाने की मंजूरी दी है.
इसमें रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, फ्रांस की नेवल ग्रुप-डीसीएनएस, जर्मनी की थायसेनक्रूप, स्पेन की नोवंटिया और दक्षिण कोरिया की डेइवू कंपनी शामिल है. देश की सरकारी कंपनी मझगांव डॉकयार्ड के अलावा लार्सन एंड टूब्रो को निर्माण की जिम्मेदारी दी गयी है. मझगांव डॉकयार्ड फ्रांस के साथ मिल कर छह स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियां बना रही है. वहीं लार्सन एंड टूब्रो अरिहंत क्लास पनडुब्बी बनाने का काम कर रही है.
Posted by: Pritish Sahay