Insurance: सरकार जल्द ही फूड डिलीवरी और कैब सर्विस जैसे ऐप्स के लिए काम करने वाले गिग वर्कर्स को बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं देने की योजना बना रही है. केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि कोड लागू होने से पहले ऐसे कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता.
गिग वर्कर्स कौन होते हैं? (insurance and pension)
गिग वर्कर्स वे होते हैं जो अस्थायी नौकरियां करते हैं, जैसे स्वतंत्र कॉन्ट्रेक्टर या फ्रीलांसर के रूप में. ये लोग आमतौर पर प्रोजेक्ट आधारित काम करते हैं और अपने काम का समय खुद तय करने की सुविधा रखते हैं. NITI आयोग के अनुसार, भारत में लगभग 65 लाख गिग वर्कर्स हैं, लेकिन यह आंकड़ा दो करोड़ से भी अधिक हो सकता है.
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इस बीमा और पेंशन से किसे होगा फायदा? (Benefit from insurance and pension)
इस फैसले को श्रम कानून में प्रावधानों की ‘सॉफ्ट लॉन्चिंग’ कहा जा रहा है, क्योंकि सभी राज्य अभी लेबर कोड लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं. मंत्री मांडविया ने कहा कि हम गिग वर्कर्स को उनके अधिकारों से दूर नहीं रख सकते और अगले साल फरवरी में बजट से पहले सोशल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क लागू करने की कोशिश करेंगे. कुछ राज्यों ने पहले ही गिग वर्कर्स के लिए कानून बनाए हैं, और मंत्रालय उन पर विचार कर रहा है. इस योजना का सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन वर्कर्स की सोशल सिक्योरिटी के लिए योगदान कहां से आएगा, क्योंकि उनके और नौकरी देने वालों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता.
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