‘सबका साथ-सबका विकास’ के साथ काम कर रही असम की सरकार, कहा- नीति सही हो, नीयत साफ हो, तो नियति भी बदलती है
Assam, Narendra Modi, sabka saath sabka vikas : असम : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इंडियन ऑयल की बोंगाईगांव रिफाइनरी में इंडमैक्स इकाई, डिब्रूगढ़ के मधुबन में ऑयल इंडिया लिमिटेड के सेकेंडरी टैंक फार्म और तिनसुकिया के मकुम के हेबड़ा गांव में एक गैस कंप्रेशर स्टेशन को राष्ट्र को समर्पित किया.
असम : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इंडियन ऑयल की बोंगाईगांव रिफाइनरी में इंडमैक्स इकाई, डिब्रूगढ़ के मधुबन में ऑयल इंडिया लिमिटेड के सेकेंडरी टैंक फार्म और तिनसुकिया के मकुम के हेबड़ा गांव में एक गैस कंप्रेशर स्टेशन को राष्ट्र को समर्पित किया.
With 'Sabka Saath Sabka Vikas', CM Sarbananda Sonowal's govt worked on several projects. Bogibeel Bridge has been completed, Kaliabhomora Bridge on Brahmaputra will improve Assam's connectivity. Four-lane national highway work is also in progress: PM Modi in Silapathar, Dhemaji
— ANI (@ANI) February 22, 2021
धेमाजी के सिलापाथर में पीएम मोदी ने कहा कि ‘सबका साथ-सबका विकास’ के साथ मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की सरकार ने कई परियोजनाओं पर काम किया है. बोगीबिल ब्रिज पूरा हो चुका है, ब्रह्मपुत्र पर स्थित कालिभोमोरा ब्रिज असम की कनेक्टिविटी में सुधार करेगा. फोर-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का काम भी प्रगति पर है
उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट ने असम की संस्कृति का गौरव बढ़ानेवाले अनेक व्यक्तित्व दिये हैं. नॉर्थ ईस्ट में भरपूर सामर्थ्य होने के बावजूद पहले की सरकारों ने इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया. यहां कि कनेक्टिविटी, अस्पताल, शिक्षण संस्थान, उद्योग पहले की सरकार की प्राथमिकता में नहीं थे. ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र पर काम कर रही हमारी सरकार ने इस भेदभाव को दूर किया है.
आज असम को तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के एनर्जी और एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का नया उपहार मिल रहा है. आत्मनिर्भर बनते भारत के लिए लगातार अपने सामर्थ्य, अपनी क्षमताओं में भी वृद्धि करना आवश्यक है. बीते वर्षों में हमने भारत में ही, रिफाइनिंग और इमरजेंसी के लिए ऑयल स्टोरेज कैपेसिटी को काफी ज्यादा बढ़ाया है. इन सारे प्रोजेक्ट्स से असम और नार्थ ईस्ट में लोगों का जीवन आसान होगा और नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
उन्होंने कहा कि साल 2014 तक प्रत्येक 100 परिवारों में से केवल 55 परिवारों में एलपीजी गैस कनेक्शन थे. असम में, रिफाइनरी राज्य में मौजूद होने के बावजूद यह संख्या 40 पर थी. उज्ज्वला योजना की मदद से असम में एलपीजी कवरेज आज लगभग 100 फीसदी है. आजादी के सात दशक बाद भी जिन 18,000 गांवों में बिजली नहीं थी, उनमें से ज्यादातर असम और पूर्वोत्तर के थे. इस क्षेत्र में गरीब, जरूरतमंद और मध्यम वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कई उर्वरक उद्योग बंद हो गये. ”नीति सही हो, नीयत साफ हो, तो नियति भी बदलती है.”
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश में जो गैस पाइपलाइन का नेटवर्क तैयार हो रहा है, देश के हर गांव तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा रहा है, हर घर जल पहुंचाने के लिए पाइप लगाया जा रहा है, वो भारत मां की नयी भाग्य रेखाएं हैं. आज पूरी दुनिया भारत के इंजीनियर्स का लोहा मान रही है. असम के युवाओं में तो अद्भुत क्षमता है. इस क्षमता को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार जी-जान से जुटी है. असम सरकार के प्रयासों के कारण ही आज यहां 20 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हो चुके हैं.
उन्होंने कहा कि बेटियों के लिए विशेष कॉलेज हों, पॉलिटेक्निक हो या दूसरे संस्थान, असम की सरकार इसके लिए बड़े स्तर पर काम कर रही है. असम सरकार यहां नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जल्द से जल्द लागू करने की कोशिश कर रही है. इस नयी शिक्षा नीति का लाभ असम को, यहां के जनजातीय समाज को, चाय बागान में काम करनेवाले श्रमिक भाई-बहनों को सबसे ज्यादा होनेवाला है.
ब्रह्मपुत्र क्षेत्र की जमीन बहुत ही उपजाऊ रही है. यहां के किसान अपने सामर्थ्य को बढ़ा सकें, उन्हें खेती की आधुनिक सुविधाएं मिल सकें, उनकी आय बढ़े, इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही है. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए जितना आजादी के बाद से खर्च नहीं हुआ, उससे ज्यादा अब हमारी सरकार खर्च कर रही है. मछली व्यवसाय से जुड़े किसानों के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की योजना बनायी गयी है, इसका लाभ असम के लोगों को भी मिलेगा.
असम की अर्थव्यवस्था में नॉर्थ बैंक के टी-गार्डन्स की भी बहुत बड़ी भूमिका है. इन टी गार्डन्स में काम करनेवाले हमारे भाई-बहनों का जीवन आसान बने, ये भी हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. जिन लोगों ने दशकों तक देश में राज किया, उन्होंने दिसपुर को दिल्ली से दूर मान लिया. इस सोच की वजह से असम का बहुत नुकसान हुआ. लेकिन, अब दिल्ली दूर नहीं है, दिल्ली आपके दरवाजे पर खड़ा है.