लड़कियों की शादी की उम्र में बदलाव की तैयारी, पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले का हो रहा विरोध
PM Modi , government, Preparing to change, age of marriage of girls, opposition to PM Modi's decision प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाने के संकेत दिये हैं, जिसके बाद इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी है. इधर मोदी के फैसले के खिलाफ 100 से अधिक नागरिक संस्थाओं ने सरकार से अपील की है और दावा किया है यह कदम मांओं और शिशुओं की सेहत में सुधार लाने में खास मदद नहीं कर पाएगा.
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाने के संकेत दिये हैं, जिसके बाद इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी है. इधर मोदी के फैसले के खिलाफ 100 से अधिक नागरिक संस्थाओं ने सरकार से अपील की है और दावा किया है यह कदम मांओं और शिशुओं की सेहत में सुधार लाने में खास मदद नहीं कर पाएगा.
संयुक्त बयान में, नागरिक अधिकारों से जुड़े संगठनों ने पूछा है कि शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाना एक कदम आगे रखना कैसे है जब यह कई और महिलाओं को वैवाहिक स्थिति और अधिकार देने से इनकार करता है. उन्होंने यह भी पूछा है कि यह उन परिवारों को अपराधी मानने में कैसे मदद करेगा जिनके जिंदा रहने की जरूरतें एवं असुरक्षा न सिर्फ उन्हें जल्दी शादी कराने पर बल्कि जल्दी ही कार्यस्थल पर प्रवेश करने के लिए भी मजबूर करती हैं.
सरकार महिलाओं के लिए विवाह की उम्र बढ़ाने पर विचार कर रही है और इसके लिए एक कार्यबल का भी गठन किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में भी इस विषय पर बात की थी. हालांकि, नागरिक संस्थाओं ने सरकार से विवाह की उम्र बढ़ाए जाने के खिलाफ आग्रह किया है.
उन्होंने दावा किया है, यह लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकारों या लड़कियों के सशक्तीकरण को बढ़ावा नहीं देगा और मांओं एवं शिशुओं की सेहत को सुधारने में खास मददगार नहीं होगा. इन संस्थाओं ने कहा, यह बहुत ही सतही समझ है कि महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए विवाह की उम्र 21 साल करना लैंगिक समानता का प्रतीक है लेकिन इस विचार को उदारवादी खेमे में बड़ी आशा के साथ देखा जाता है.
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करीब 100 नागरिक संस्थाओं और 2,500 युवा आवाजों द्वारा समर्थित इस बयान में कहा गया, अगर उम्र के लिहाज से कानूनी समानता को लागू करने की बात है तो इसे महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए 18 साल करने पर विचार करना ज्यादा सार्थक होगा, जैसा कि विश्व के ज्यादातर हिस्सों में है.
इन्होंने कहा कि कानून के जरिए विवाह की उम्र बढ़ाना जल्दी शादी को रोकने की बजाय इसे अपराधिक बनाएगा. नागरिक संस्थाओं ने अनुशंसा की है कि विवाह की उम्र बढ़ाने की बजाय, सरकार को स्कूली व्यवस्था और रोजगार के अवसरों को मजबूत करने पर विचार करना चाहिए.
Posted By – Arbind Kumar Mishra