तिरुवनंतपुरम : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एक भाषण को लेकर राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग क्या कर दी, सत्ताधारी पार्टी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस दोनों सियासी दलों ने उन्हें निशाने पर ले लिया. मीडिया की खबरों की मानें, वित्त मंत्री केएन बालगोपाल के खिलाफ कार्रवाई मांग को लेकर माकपा और कांग्रेस ने बुधवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को ही आड़े हाथ ले लिया. हालांकि, यह बात दीगर है कि कांग्रेस ने आशंका जाहिर करते हुए कहा है कि राज्यपाल और सरकार के बीच की ये खींचतान कहीं फर्जी तो नहीं है?
केरल में सत्ताधारी दल माकपा का आरोप है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे’ को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उनसे संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के तहत कार्य करने की अपील की. वहीं, कांग्रेस ने कहा कि मंत्री को हटाने की उनकी मांग को ‘अवमानना मानकर’ खारिज कर दिया जाना चाहिए. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को लिखे पत्र में ‘राष्ट्रीय एकता’ को कमतर करने के बयान पर वित्त मंत्री केएन बालगोपाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिसे मुख्यमंत्री ने अस्वीकार कर दिया.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को लिखे पत्र में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया कि 18 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर में वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने भाषण दिया, जिसमें उन्होंने ली गई शपथ और भारत की अखंडता को कमतर किया. राज्यपाल ने कहा कि उनके पास यह बताने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है कि वित्त मंत्री के पद पर बने रहने से वह खुश नहीं हैं.
तिरुवनंतपुरम में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए माकपा के प्रांत सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्यपाल का विश्वास व्यक्तिगत नहीं हो सकता और निजी पसंद से उसे बदला नहीं जा सकता. उन्होंने वित्तमंत्री का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि केएन बालगोपाल के भाषण में किसी व्यक्ति को अपमानित करने वाली टिप्पणी नहीं की गई, जैसा कि राज्यपाल ने आरोप लगाया है.
एमवी गोविंदन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही जवाब दे दिया है कि राज्यपाल की निजी प्रसन्नता की जरूरत मंत्री को मंत्रिमंडल में कायम रखने के लिए जरूरी नहीं होती. मुख्यमंत्री का फैसला अधिक अहम है. सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर प्रसन्नता के मायने को परिभाषित किया है. वाम नेता ने हाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के नाम पर राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का इस्तीफा मांगने के राज्यपाल के कदम की भी आलोचना की.
इस बीच, केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक वीडी सतीशन ने कहा कि नई दिल्ली (केंद्र को इंगित करते हुए) में आरिफ मोहम्मद खान के कार्यों से राज्य में प्रशासनिक संकट उत्पन्न नहीं होगा और निश्चित तौर पर विपक्ष राज्यपाल द्वारा ऐसे अधिकारों का इस्तेमाल करने पर सवाल उठाएगा, जो उनमें निहित नहीं है. उन्होंने हमले को तीखा करते हुए कहा कि राज्यपाल भगवान नहीं हैं जिनपर सवाल नहीं उठाए जा सकते और यह विपक्ष है, जिसने मंत्रियों से पहले उनकी आलोचना की. उन्होंने कहा कि क्या भारत के इतिहास में किसी राज्यपाल ने मंत्री को हटाने की मांग की है? वह विश्वविद्यालयों के सीनेट सदस्य को जरूरत पड़ने पर हटाने की मांग कर सकते हैं.
कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ ही राज्य की वाम सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला दोनों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रेखांकित किया कि राज्यपाल और सरकार द्वारा संयुक्त रूप से सभी कुलपतियों की नियुक्ति यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के नियमों का उल्लंघन कर की गई और अवैध है. इसलिए फैसलों को लेकर जनता को धोखा देने के लिए राज्यपाल और सरकार में झूठी लड़ाई चल रही है.
Also Read: कनेक्टिंग थ्रू कल्चर के विमोचन पर आरिफ मोहम्मद खान बोले- भारत विश्व गुरु था, हमने दुनिया को दिखाया रास्ता
सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) में दूसरे बड़े घटक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के प्रदेश सचिव कनम राजेंद्रन ने आरोप लगाया कि राज्यपाल न केवल लोकतंत्र को बल्कि संविधान को भी चुनौती दे रहे हैं. जब उनसे राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र के बारे में पूछा गया तो राजेंद्रन ने मखौल उड़ाते हुए कहा कि अगर डाकघर हो, तो कोई भी पत्र भेज सकता है. उन्होंने कहा कि यह घटनाक्रम महज मामूली है और इससे राज्य में संकट नहीं पैदा होगा.