Grain Storage:अनाज भंडारण की क्षमता पर्याप्त न होने के कारण किसानों को अपने फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है, वहीं बरसात या अन्य मौसमों में अनाज की कमी या कीमतों में इजाफा भी होता है. भंडारण से बफर स्टॉक को बनाये रखने में सहायता मिलती है और जरूरत के समय सरकार या फिर किसान अपने रखे अनाज को निकालकर उसका उपयोग कर पाते हैं. उत्तर भारत में भंडारण क्षमता कम होने के कारण प्याज, आलू किसानों के सड़ जाते हैं और जरूरत के समय उन्हें ज्यादा कीमत देकर खरीदना पड़ता है.
इस से निजात पाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (नैबकॉन्स) के सहयोग से 11 राज्यों में अनाज भंडारण योजना शुरू की है. यह योजना सहकारी क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलायी जा रही है. इस पायलट परियोजना को आगे बढ़ा दिया गया है और सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के तहत गोदामों के निर्माण के लिए नवंबर तक देश भर में 500 से अधिक अतिरिक्त पैक्स की पहचान की गई है.
सब्सिडी और ब्याज सहायता दी जाती है
पैक्स कोइस योजना के तहत, कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), सहित केंद्र सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के माध्यम से पैक्स को सब्सिडी और ब्याज सहायता दी जाती है. एआईएफ योजना के तहत 2 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए 3 प्रतिशत ब्याज सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें ऋण चुकाने की अवधि 2 से 5 वर्ष होती है. इसके अलावा, एएमआई योजना के तहत भंडारण इकाइयों के निर्माण के लिए पैक्स को 33.33 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है.
इसके अलावा, एएमआई योजना के तहत पैक्स के लिए उत्पाद की उत्पादन लागत और उसके विक्रय मूल्य के बीच के अंतर की धनराशि (मार्जिन मनी) की आवश्यकता 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी गई है. गौरतलब है कि पायलट परियोजना के अंतर्गत 11 राज्यों की 11 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों में कुल 9,750 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता वाले 11 भंडारण गोदामों का निर्माण पूरा हो चुका है.