Prabhat Khabar Special: रक्षा क्षेत्र में फ्रांस के साथ बढ़ रहा सहयोग
सैन्य अभ्यासों के अतिरिक्त, रक्षा उपकरणों की खरीद और संयुक्त विकास दोनों देशों के बीच साझेदारी का एक महत्वपूर्ण पहलू है. छत्तीस राफेल विमानों की खरीद और छह पी-75 स्कॉर्पीन पनडुब्बी के लिए अनुबंध इस साझेदारी का सबसे ताजा उदाहरण है.
आरती श्रीवास्तव :
रक्षा क्षेत्र में सहयोग भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की आधारशिला है. दोनों देशों के बीच मंत्री स्तरीय रक्षा वार्ता होती रहती है, जो 2018 से हर वर्ष आयोजित की जाती है. इतना ही नहीं, दोनों देशों की सेनाओं के बीच नियमित रक्षा अभ्यास भी होते रहते हैं. जैसे, शक्ति अभ्यास (थल सेना के लिए- आखिरी बार नवंबर 2021 में फ्रांस में हुआ), वरुण अभ्यास (नौसेना के लिए 30 मार्च से 3 अप्रैल 2022 तक अरब सागर में आयोजित किया गया),
गरुड़ अभ्यास (वायु सेना के लिए नवंबर 2022 में भारत में हुआ था). इतना ही नहीं, भारतीय नौसेना ने पांच से सात अप्रैल, 2021 तक क्वाड समूह के अन्य सदस्यों के साथ फ्रांसीसी नेतृत्व वाले ला पेरोस अभ्यास में भाग लिया था. विभिन्न स्टाफ पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि भी नियमित रूप से होते रहते हैं.
इन सैन्य अभ्यासों के अतिरिक्त, रक्षा उपकरणों की खरीद और संयुक्त विकास दोनों देशों के बीच साझेदारी का एक महत्वपूर्ण पहलू है. छत्तीस राफेल विमानों की खरीद और छह पी-75 स्कॉर्पीन पनडुब्बी के लिए अनुबंध इस साझेदारी का सबसे ताजा उदाहरण है. भारतीय एरोस्पेस व डिफेंस बुलेटिन ने इस वर्ष मार्च में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) द्वारा जारी रिपोर्ट के हवाले से बताया कि हथियारों की खरीद को लेकर भारत की फ्रांस पर निर्भरता बढ़ रही है.
वर्ष 2013-17 से 2018-22 तक फ्रांस को भारत में हथियारों के आयात में 489 प्रतिशत की बढ़त हासिल हुई है. इतना ही नहीं, वर्ष 2018-22 की अवधि में फ्रांस अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया. इस दौरान भारत ने फ्रांस से 62 लड़ाकू विमान और चार पनडुब्बियां आयात की थीं. भारत-फ्रांस के मजबूत होते संबंधों को देखते हुए अटकलें लगायी जा रही हैं कि फ्रांस भारत के प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में रूस की जगह ले सकता है. हाल ही में नयी दिल्ली में फ्रांस के राजदूत, इमैनुएल लेनिन ने कहा था कि फ्रांस परमाणु संचालित पनडुब्बियों के विकास सहित महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर भारत के साथ साझेदारी को इच्छुक है.
अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग
वर्ष 1960 के दशक में फ्रांस की तकनीकी सहायता से श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड का निर्माण हुआ था. उसके बाद से ही भारत और फ्रांस के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग का समृद्ध इतिहास रहा है. नागरिक अंतरिक्ष (सिविल स्पेस) के क्षेत्र में मजबूत संबंधों के आधार पर ही भारत व फ्रांस ने मार्च 2018 में फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां की भारत यात्रा के दौरान ‘अंतरिक्ष सहयोग के लिए संयुक्त विजन’ जारी किया.
तब से इसरो और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी, सीएनईएस विभिन्न संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम चला रहे हैं और उपग्रह प्रक्षेपण में सहयोग कर रहे हैं. दोनों देशों ने पृथ्वी का अवलोकन, समुद्री क्षेत्र को लेकर जागरूकता, वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली, सौर प्रणाली की पड़ताल, अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली और मानव अंतरिक्ष उड़ान से संबंधित प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया है.
इसरो और एरियनस्पेस के बीच चल रहे द्विपक्षीय सहयोग से कुछ दिनों पूर्व ही न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के जीएसएटी- 24 संचार उपग्रह को कौरौ, फ्रेंच गुयाना से एरियन- 5 पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. इतना ही नहीं, फ्रांस भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े घटकों और उपकरणों (कंपोनेंट व इक्विपमेंट) का प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी है. सीएनईएस स्पेस मेडिसिन और क्रू सपोर्ट एलिमेंट की आपूर्ति के क्षेत्र में भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान का भी सहयोग कर रहा है.
असैनिक परमाणु सहयोग
वर्ष 2008 के सितंबर में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान भारत और फ्रांस के बीच असैनिक परमाणु सहयोग पर एक समझौता हुआ था. इसके बाद, दिसंबर 2010 में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सर्कोजी की भारत यात्रा के दौरान, जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना (जेएनपीपी) से जुड़े ईपीआर के कार्यान्वयन के लिए एनपीसीआईएल और मेसर्स अरेवा के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था. इसके अलावा, भारत आईटीईआर का सदस्य भी है.
आईटीईआर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है जो फ्रांस के कैडराचे स्थित एक एक्सपेरिमेंटल फ्यूजन रिएक्टर के निर्माण के लिए गठित की गयी है. आईटीईआर परियोजना में भारत की तरफ से परमाणु ऊर्जा विभाग प्रतिनिधित्व करता है. भारत जूल्स होरोविट्ज रिएक्टर (जेएचआर) का भी हिस्सा है, जिसका निर्माण फ्रांस के कैडराचे में हो रहा है. यह एक मटेरियल टेस्टिंग व रिसर्च रिएक्टर है.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत और फ्रांस के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग का एक समृद्ध इतिहास है. वर्ष 1978 की 18 जुलाई को दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. तब से दोनों के बीच यह सहयोग विकसित हुआ है.
कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर समर्थन
फ्रांस ने कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत का साथ देना जारी रखा है. जैसे, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र के सुधारों के लिए भारत के दावे का समर्थन, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर), वासेनार अरेंजमेंट (डब्ल्यूए) और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (एजी) में भारत के शामिल होने में फ्रांस की प्रमुख भूमिका रही है. यूरोप के इस देश ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने की भारत की कोशिशों का भी समर्थन करना जारी रखा है.
प्रधानमंत्री को मिला फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान
बीते सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवस की आधिकारिक यात्रा (13-14 जुलाई) पर फ्रांस पहुंचे थे, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ. प्रधानमंत्री की यह फ्रांस यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने देश के सर्वोच्च सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया. इस सम्मान को पाने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले यह सम्मान दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, वेल्स के तत्कालीन राजकुमार चार्ल्स, जर्मनी की पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बुतरस बुतरस घाली को दिया जा चुका है.
मोदी बास्तिल डे परेड में हुए शामिल
अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस की सीनेट का दौरा किया और सीनेट के अध्यक्ष, जेरार्ड लार्चर के साथ व्यापक चर्चा की. वे फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न के साथ अलग से प्रतिनिधिमंडल स्तर की एक बैठक में शामिल हुए और विभिन्न मुद्दों पर सार्थक बातचीत की. इतना ही नहीं, उन्होंने फ्रांस में रह रहे प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम को भी संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने बास्तिल डे परेड में बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर भाग लिया.
गौरतलब हो कि परेड में भाग लेने के लिए इमैनुएल मैक्रां की तरफ से निमंत्रण आया था. इस समारोह के लिए निमंत्रण मिलना भारत-फ्रांस संबंधों की गहराई का संकेत देता है. भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए, एक सैन्य बैंड के नेतृत्व में 241 सदस्यीय भारतीय सशस्त्र बलों की एक त्रि-सेवा टुकड़ी ने भी परेड में भाग लिया. भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट के साथ पंजाब रेजिमेंट ने किया.
भारतीय वायु सेना के राफेल जेट परेड के दौरान फ्लाई पास्ट का हिस्सा बने. दोनों सेनाओं के बीच प्रथम विश्व युद्ध के समय से ही गठबंधन रहा है. विदित हो कि 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बतौर चीफ गेस्ट ऑफ ऑनर बास्तिल डे परेड में शामिल हो चुके हैं. मनमोहन सिंह इस सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय नेता थे. तब भारतीय सेना के तीनों अंगों के 400 जवानों ने इस परेड में हिस्सा लिया था.