दुनिया में गैर बासमती चावल की बढ़ती मांग

गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के निर्णय से दुनिया के देशों में अफरा-तफरी है, विशेषकर अमेरिका के बाजारों में. चावल की इस किस्म को खरीदने की मारामारी के कारण अमेरिका के बाजारों में चावल महंगा हो गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 8, 2023 8:57 AM

भारतीय बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से, बीते महीने भारत सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात नीति में संशोधन कर उसे तुरंत प्रभाव से प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया. घरेलू बाजार में चावल के दाम में वृद्धि का रुझान बना हुआ है. खुदरा बाजार में इस किस्म के चावल के मूल्य में एक वर्ष पहले की तुलना में 11.5 प्रतिशत और इस वर्ष जून महीने की तुलना में तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है.

घरेलू बाजार में मूल्य कम करने और पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बीते वर्ष सितंबर में गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था. पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाये जाने के बावजूद इस किस्म के चावल का निर्यात 2021-22 के सितंबर-मार्च के 33.66 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2022-23 के सितंबर-मार्च में 42.12 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया.

चालू वित्त वर्ष (2023-24) में अप्रैल से जून की अवधि में इस किस्म के 15.54 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि (अप्रैल-जून) के दौरान केवल 11.55 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात हुआ था. इस लिहाज से देखें, तो चावल के निर्यात में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है. निर्यात में तेज वृद्धि के लिये भू-राजनीतिक परिदृश्य, अल-नीनो और दुनिया के चावल उत्पादक देशों में चरम जलवायु परिस्थितियां समेत तमाम कारक जिम्मेदार हैं. देश के कुल चावल निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल का हिस्सा 25 प्रतिशत है. गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाने से देश में उपभोक्ताओं के लिये इसके दाम कम होंगे.

बासमती व उसना चावल का निर्यात जारी रहेगा

सरकार ने गैर-बासमती चावल (उसना चावल) और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लाभकारी दाम का लगातार लाभ मिलता रहेगा, क्योंकि कुल चावल निर्यात में इन किस्मों का योगदान ही अधिक होता है.

गैर-बासमती चावल के निर्यात के आंकड़े

अपीडा की वेबसाइट से प्राप्त डायरेक्टर जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टेटिस्टिक्स (डीजीसीआइएस) के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में भारत ने 17,786,092.81 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया. दुनिया के 150 से अधिक देशों को किये गये इस निर्यात का मूल्य 51,088.72 करोड़ (6,355.74 मिलियन डॉलर) रहा. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत से चावल आयात करने वाले शीर्ष पांच देशों- बेनिन, चीन, सेनेगल, कोट डी आइवरी और टोगो- में से पश्चिम अफ्रीकी देश बेनिन पहले स्थान पर रहा. जिसे भारत ने 1,557,691.02 मिलियन टन चावल का निर्यात किया. इस दौरान शीर्ष 10 देशों को भारत द्वारा किया गया गैर-बासमती चावल का कुल निर्यात 10,294,858.65 मिलियन टन रहा. इस प्रकार भारत ने इन 10 देशों को 27,94,325.71 लाख रुपये मूल्य का गैर-बासमती चावल भेजा.

शीर्ष 10 देशों को निर्यात किया गया

गैर-बासमती चावल का आंकड़ाsss

वर्ष: 2022-23, मूल्य (लाख रुपये में), मात्रा (मिलियन टन में)

क्रम देश मात्रा मूल्य

1 बेनिन 1,557,691.02 4,26,588.12

2 चीन 1,504,097.77 3,89,683.75

3 सेनेगल 1,332,725.29 3,47,096.63

4 कोट डे

आइवरी 1,210,505.32 3,39,429.26

5 टोगो 940,020.79 2,65,654.03

6 गिनी 910,694.11 2,59,850.85

7 बांग्लादेश 840,441.62 2,48,798.44

8 नेपाल 765,455.12 1,97,411.44

9 वियतनाम 644,990.36 1,61,821.91

10 केन्या 588,273.25 1,57,991.28

स्रोत: अपीडा-डीजीसीआइएस

बासमती चावल के निर्यात के आंकड़े

भारत वैश्विक बाजार में बासमती चावल का प्रमुख निर्यातक देश है. देश ने 2021-2022 में दुनियाभर में 3,948161.02 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसका मूल्य 26,41,653.82 लाख रुपये रहा. वर्ष 2022-23 में यह निर्यात बढ़कर 4,558,972.20 मिलियन टन पहुंच गया. इस प्रकार, इस वर्ष 38,52,410.51 लाख रुपये मूल्य का बासमती चावल निर्यात किया गया. वर्ष 2022-2023 में भारत से बासमती चावल खरीदने वाले शीर्ष पांच देशों में ईरान, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और यमन शामिल रहे. इन देशों के अतिरिक्त भारत द्वारा अमेरिका, कुवैत, ब्रिटेन, ओमान, जॉर्डन, कतर, कनाडा, मलेशिया, नेपाल, बांग्लादेश समेत तमाम देशों को बासमती चावल निर्यात किया गया.

भारत में चावल उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य

पश्चिम बंगाल भारत का सबसे बड़ा चावल उत्पादक राज्य है. इसके बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब का स्थान आता है. वर्ष 2022-2023 के लिए किये गये एक आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2021-2022 के लिए देश के कुल चावल उत्पादन का 32 प्रतिशत तीन राज्यों में हुआ. पश्चिम बंगाल ने जहां कुल चावल उत्पादन में 12.87 प्रतिशत का योगदान दिया, वहीं उत्तर प्रदेश ने 11.72 प्रतिशत और पंजाब ने 9.89 प्रतिशत का योगदान दिया. जबकि 2020-2021 में इन तीनों राज्यों की चावल उत्पादन में हिस्सेदारी 36 प्रतिशत थी. इस वर्ष भारत में उत्पादित कुल चावल में पश्चिम बंगाल का योगदान 13.62 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश का 12.81 प्रतिशत और पंजाब का 9.96 प्रतिशत था. उपरोक्त तीनों राज्यों के अतिरिक्त चावल उत्पादित करने वाले प्रमुख राज्य हैं तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम और हरियाणा.

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