गुजरात चुनाव 2022: घाटलोदिया विधानसभा सीट ने दिए राज्य को 2 मुख्यमंत्री, इस बार है विपक्ष की नजर!
जहां यह तय है कि हर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा, वहीं घाटलोदिया विधानसभा क्षेत्र गौरव की बात होगी. घाटलोदिया सीट 2012 में परिसीमन के बाद सरखेज विधानसभा क्षेत्र से अलग हुई थी. भाजपा ने 2012 और 2017 में घाटलोदिया विधानसभा सीट जीती है.
गुजरात चुनाव 2022: गुजरात में इस साल बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच एक अच्छी राजनीतिक लड़ाई देखने को मिली है, जो मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी सारी ताकत लगा रही है. ऐसे में 27 साल के सत्ता पर कब्जा किये हुए भारतीय जनता पार्टी के लिए घाटलोदिया विधानसभा सीट बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाती है. चूंकि गुजरात की पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल भी साल 2012 में घाटलोदिया से चुनाव जीता था और 2017 में भूपेंद्र पटेल ने इस सीट पर दावा किया और गुजरात के मुख्यमंत्री बने.
इस विस सीट पर खड़ा होने वाले गुजरात के अगले सीएम पद का उम्मीदवार!
ऐसे में यह तो साफ तौर पर कहा जा सकता है कि इस विधानसभा सीट ने गुजरात को दो-दो मुख्यमंत्री दिए है. और बीते दो बार के विधानसभा चुनाव से लगातार इस सीट के जीते हुए उम्मीदवार ही मुख्यमंत्री बने है. ऐसे में जब भारतीय जनता पार्टी की ओर से उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की गयी है तो क्या इस सीट के लिए खड़े होने वाले नेता को गुजरात के अगले सीएम पद का उम्मीदवार समझा जा सकता है?
सरखेज विधानसभा क्षेत्र से परिसीमन के बाद घाटलोदिया सीट हुई अलग
जहां यह तय है कि हर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा, वहीं घाटलोदिया विधानसभा क्षेत्र गौरव की बात होगी. घाटलोदिया सीट 2012 में परिसीमन के बाद सरखेज विधानसभा क्षेत्र से अलग हुई थी. भाजपा ने 2012 और 2017 में घाटलोदिया विधानसभा सीट जीती है. महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों चुनावों में इस निर्वाचन क्षेत्र ने गुजरात को अपने मुख्यमंत्री दिए. वर्तमान में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल घाटलोदिया सीट पर हैं.
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2012 में आनंदीबेन पटेल ने यही से लड़ा था चुनाव
2012 में, भाजपा उम्मीदवार आनंदीबेन पटेल यहां से मैदान में थीं, जो 1.54 लाख मतों के अंतर से विजयी हुई थीं. बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. हालांकि, 2017 में, आनंदीबेन को मुख्यमंत्री के रूप में विजय रूपानी द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था.
पाटीदार और रबारी बहुल इलाका है घाटलोदिया
घाटलोदिया पाटीदार और रबारी बहुल इलाका है. 2017 के पाटीदार आंदोलन का बड़ा असर यहां देखने को मिला. उसी वर्ष, भाजपा ने आनंदीबेन पटेल के करीबी भूपेंद्र पटेल को घाटलोदिया से टिकट दिया. भूपेंद्र पटेल ने 1.75 लाख वोटों के बड़े अंतर से फिर से भाजपा के लिए सीट जीती और उन्हें राज्य का सीएम बनाया गया.
कांग्रेस के लिए घाटलोदिया कभी भी आसान मैदान नहीं रहा
प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के लिए घाटलोदिया कभी भी आसान मैदान नहीं रहा है. 2012 में जब उसके उम्मीदवार रमेशभाई पटेल ने आनंदीबेन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी तो ग्रैंड-ओल्ड पार्टी केवल 44,000 वोट हासिल करने में सफल रही थी. 2017 में उसे केवल 57,902 वोट ही मिले थे. कांग्रेस ने इस बार घाटलोडिया से राज्यसभा सांसद अमी याज्ञनिक को मैदान में उतारा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि भगवा पार्टी की जीत जारी रहती है या विपक्ष इसे भाजपा से लेता है.