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कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी के खिलाफ साझा किया आपत्तिजनक पोस्ट, गुजरात हाईकोर्ट ने बेल देने से किया इनकार

न्यायमूर्ति निरजार देसाई ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को किसी व्यक्ति को पसंद या नापसंद करने का अधिकार है, लेकिन यह उसे प्रधानमंत्री और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ आपत्तिजनक या अपमानजनक भाषा का उपयोग करने का अधिकार नहीं है. अफजल भाई लखानी की पोस्ट सामाजिक शांति को भंग करने वाली सामग्री थी.

अहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां हीराबेन मोदी के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में मंगलवार को कांग्रेस नेता अफजल भाई लखानी को जमानत देने से इनकार कर दिया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अफजल भाई लखानी ने अपने फेसबुक पेज पर पीएम मोदी की दिवंगत मां के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट किया था. मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति निरजार देसाई की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने कहा कि कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री को पंसद या नापसंद करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उनके खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री और अपमानजनक भाषा का उपयोग करना अनुचित है.

भंग हो सकती थी सामाजिक शांति

न्यायमूर्ति निरजार देसाई ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को किसी व्यक्ति को पसंद या नापसंद करने का अधिकार है, लेकिन यह उसे प्रधानमंत्री और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ आपत्तिजनक या अपमानजनक भाषा का उपयोग करने का अधिकार नहीं है. इसलिए इस अदालत की ओर से केवल सामान्य टिप्पणियां की जाती हैं. उन्होंने कहा कि अफजल भाई लखानी की पोस्ट सामाजिक शांति को भंग करने वाली सामग्री थी. उनकी पोस्ट में न केवल प्रधानमंत्री और उनकी दिवंगत मां के बारे में अपमानजनक टिप्पणी थी, बल्कि उसमें अश्लील सामग्री भी शामिल थी. उन्होंने कहा कि अफजल भाई लखानी ने पाकिस्तान समर्थक और भारत विरोधी सामग्री साझा की थी जो सांप्रदायिक कलह और सामाजिक शांति को भंग कर सकती थी.

अत्यधिक अपमानजनक है भाषा

न्यायमूर्ति निरजार देसाई ने आगे कहा कि फेसबुक पोस्ट में प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली भाषा अत्यधिक अपमानजनक थी, जिसका जिक्र आर्डर में नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि पोस्ट एजेंडा से प्रेरित प्रतीत होती हैं. यहां तक कि अगर अपराध के लिए अधिकतम पांच साल की सजा पर विचार किया जाता है, तो मुझे जमानत देने के लिए कोई बाध्यकारी कारण नहीं मिलता है.

फेसबुक पोस्ट पर्सनल एजेंडा

न्यायमूर्ति निरजार देसाई ने अपने आदेश में संकेत दिया कि पोस्ट का उद्देश्य न केवल देश के नेता की छवि को धूमिल करना था, बल्कि व्यक्तिगत छिपे हुए एजेंडे को पूरा करना भी था. न्यायमूर्ति देसाई ने चिंता व्यक्त की कि यदि ऐसे व्यक्ति को जमानत दे दी जाती है, तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि वह एक बार फिर किसी अन्य नाम का उपयोग करके और फर्जी आईडी बनाकर इस तरह का अपराध कर सकता है, क्योंकि तकनीक अब तक उन्नत हो चुकी है और एक बार ऐसे व्यक्ति को समाज में स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति मिल जाती है.

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पुलिस ने कई धाराओं के तहत मामला किया दर्ज

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ पोस्ट को लेकर गुजरात पुलिस ने देवुभाई गढ़वी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद अफजल भाई लखानी को गिरफ्तार किया था. देवुभाई गढ़वी ने आरोप लगाया कि वह फेसबुक पेज ‘गुजरात त्रस्त भाजपा मस्त’ पर आए, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट किए गए थे. पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी लखानी के खिलाफ मानहानि, अभद्र भाषा, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, अश्लीलता, सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम के साथ अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया.

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