अहमदाबाद : गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य की विजय रूपाणी सरकार को कथित लव जिहाद कानून पर बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने ‘गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021’ के कई प्रावधानों पर रोक लगा दी है. इसमें से एक धारा के तहत एफआईआर दर्ज करने के प्रावधान पर भी रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि लड़की को लालच देकर फंसाया गया है, तब तक एफआईआर दर्ज न हो.
आज जमीयत उलेमा ए हिंद की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अंतरजातीय विवाह में किसी भी शख्स पर तब तक एफआईआर दर्ज न की जाए, जब तक यह साबित न हो जाए कि किसी लड़की को लालच में फंसाकर धर्मांतरण कराया गया है. अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस कानून की धाराओं 3, 4, 5 और 6 के संशोधनों पर रोक लगायी जाती है.
बता दें कि गुजरात की विजय रूपाणी सरकार एक अप्रैल को ‘गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021’ विधानसभा में पारित करवाया. इस संशोधन को राज्य में 15 जून से लागू किया गया. इस संशोधन के बाद नियमों को कड़ा किया गया और कानून के धाराओं के तहत आरोपी को तीन से पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
कानून में संशोधन के बाद अगर कोई व्यक्ति किसी लड़की को झांसे में डालकर उससे शादी करता है और उसका धर्मांतरण कराता है तो उसे कैद के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है. अगर पीड़िता एससी या एसटी समुदाय की है तो सात साल की सजा का प्रावधान है.
पीटीआई भाषा की खबर के मुताबिक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को 6 अगसत को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा था. उसी सयम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली सुनवाई की तिथि 19 अगस्त निर्धारित की थी.
Posted By: Amlesh Nandan.