गुजरात मे हुए 2002 के दंगों के मुख्य आरोपी बाबू बजरंगी और माया कोडनानी समेत सभी आरोपियों को बारी कर दिया गया है. ये फैसला अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने सुनाया, सभी आरोपी नरोदा ग्राम में हुए नरसंहार में संलिप्त पाए गए थे, इनमें से 17 लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी थी. बाकी बचे 69 आरोपियों को बरी कर दिया गया. ये सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.
गुजरात की एक विशेष अदालत 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान नरोदा गाम में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों की हत्या के मामले में बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया, इस मामले के आरोपियों में भाजपा की पूर्व विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों को बारी कर दिया गया है.
आपको बताएं कि, गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में दंगों के दौरान कम से कम 11 लोग मारे गए थे. नरोदा ग्राम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा था.
मामले की जांच के लिए SIT बनाई गई. SIT ने अपनी जांच में तत्कालीन नरोदा विधायक माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया. माया कोडनानी बाद में राज्य की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी बनीं. जांच के बाद 2009 में ट्रायल शुरू हुआ. गवाहों में वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का नाम भी शामिल है. 18 सितंबर 2017 को तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने माया कोडनानी के समर्थन में गवाही दी थी. तब अमित शाह ने कोर्ट में कहा था कि उन्होंने 28 फरवरी को सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में देखा था. उन्होंने कहा था,
28 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड के बाद वीएचपी ने बंद का आह्वान किया था, इसी दौरान पूरे क्षेत्र में दंगे फैल गए थे. दंगे में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया था, उनके घरों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया. इस मामले में सुनवाई साल 2009 में शुरू की गई थी. इसमें लगभग पूर्व राज्य मंत्री समेत 82 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. लगभग 13 सालों से चल रहे इस मामले में अब तक 187 लोगों से पूछताछ की गई है, जबकि 57 चश्मदीद के बयान दर्ज किए गए थे.
2012 में सुनाई गई थी सजा: साल 2012 में विशेष अदालत ने भाजपा विधायक और पूर्व राज्य मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और हिंसा का मुख्य आरोपी माना। पूरे मामले को ध्यान में रखते हुए उस दौरान 32 लोगों को दोषी ठहराया गया. इसमें पूर्व राज्य मंत्री कोडनानी को 28 साल की सजा सुनाई गई थी, तो वहीं बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
फरवरी, 2017 में इस मामले में माया कोडनानी के बचाव पक्ष में अमित शाह सामने आए, उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस हिंसा के दौरान कोडनानी उनके साथ थी और वे लोग गोधरा कांड में मारे गए लोगों का शव देखने के लिए गए थे. 20 अप्रैल, 2023 को माया कोडनानी ने विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया, जिस दौरान हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव के कारण माया कोडनानी को बरी कर दिया और बाबू बजरंगी की सजा को कम कर के 21 साल कर दिया