H1B visa, United state, corona virus Update: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में नौकरी करने की इच्छा रखने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों को झटका दिया है. ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा के साथ ही अन्य विदेश कामकाजी वीजा जारी करने पर इस साल के अंत तक रोक लगाने की आधिकारिक घोषणा कर दी है. हालांकि, इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का मानना है कि आईटी सेवाएं कहीं से भी संचालित की जा सकती हैं.
वहीं, इस फैसले के बाद मंगलवार को शेयर बाजार में भारतीय कंपनियों के शेयर में उछाल भी देखा गया. बता दें कि ट्रंप के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर तो लोग उनके खिलाफ दिख ही रहे हैं, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि इमिग्रेशन की वजह से अमेरिका को इतना फायदा हुआ है. इसकी वजह से वह ग्लोबल टेक लीडर बना, लेकिन इस ऑर्डर से वह निराश हैं.
Also Read:
मॉस्को दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ, तिलमिलाए चीनी मीडिया ने कहा- भारत को हथियार न दे रूस
अमेरिका के वीजा प्रतिबंधों से भारतीय आईटी कंपनियों पर फिलहाल कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है क्योंकि यह अभी केवल छह माह के लिए ही है.ट्रंप प्रसासन का फैसला उन लोगों पर लागू होगा जो अब वहां जाना चाहते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के कारण पहले ही अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर प्रतिबंध लगा हुआ है, ऐसे में इस फैसले का कोई खास महत्व नहीं है. ये अलग बात है कि इसे लेकर भी अनिश्चितता है.
बीबीसी ने नोएडा में ‘इम्पैक्ट क्यूए’ नाम की एक कंपनी के फाउंडर और सीईओ जेपी भट्ट के हवाले से लिखा- हमें पहले से उम्मीद थी कि ऐसा फैसला आ सकता है. हालांकि मेरा मानना है कि इस फैसले के लिए बाहर की कंपनियां भी जिम्मेदार हैं, उन्होंने इस नियम का गलत फायदा उठाया है, वो बाहर से आए लोगों को बहुत कम सैलेरी देती थीं, जो सही नहीं है. भट्ट का कहना है कि ये एक शॉर्ट टर्म फैसला है और इसका बहुत ज्यादा असर भारतीय कंपनियों पर नहीं पड़ेगा, अगर ये फैसला लंबी अवधि के लिए लिया जाता तो असर ज्यादा होता.
कई कंपनियां कोरोना के कारण पहले से ही लोगों को दूसरे देशों में नहीं भेजना चाह रही थीं. इमिग्रेशन सेवा देने वाली एक कंपनी के चेयरमौन अजय शर्मा का कहना है कि भारतीय आईटी कंपनियां कहीं से भी अपनी सेवाएं दे सकती हैं. जिन भारतीय आईटी कंपनियों के पास अमेरिकी क्लाइंट हैं वे कनाडा, ब्रिटेन या यूरोपीय देशों से सेवाएं दे सकते हैं. इस फैसला का असर केवल नए प्रोजेक्ट पर पड़ेगा, क्योंकि उसके लिए यात्रा करना जरूरी होता है. शर्मा का कहना है कि पूरी दुनिया में जब वर्क फ्रॉम होम चल रहा है तो ऐसे में इस प्रतिबंध का कोई खास असर नहीं पड़ेगा. एक कारण ये भी कि भारत की शीर्ष टेक कंपनियों जैसे टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, टेक महिंद्रा और एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने पिछले वर्षों पर वीजा से अपनी निर्भरता कम करते हुए अधिकतर स्थानीय लोगों को काम पर रखा है.
Also Read: भारत ने पाकिस्तान को दिया अल्टीमेटम, कहा- 7 दिन में कम करें अपने हाई कमीशन में स्टाफ की संख्या
‘भाषा’ के मुताबिक, अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि एच1-बी वीजा और अन्य गैर आव्रजक वीजा के अस्थायी निलंबन से एशिया के उच्च कौशल प्राप्त कर्मियों के साथ-साथ उन अमेरिकी कारोबारों को नुकसान होगा, जो प्रवासी कर्मियों पर निर्भर करते हैं. सांसद जूडी चू ने कहा, वीजा प्रतिबंध से एशिया के उच्च दक्षता प्राप्त कर्मी प्रभावित होंगे. अमेरिका में एच1-बी वीजा धारकों में से 80 प्रतिशत एशिया के लोग ही हैं. उन्होंने रेखांकित किया कि प्रवासी अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अहम हैं और वे कृषि एंव चिकित्सकीय क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि कारोबार और अकादमिक जैसे क्षेत्रों के लिए भी आवश्यक है.
चू ने कहा, यदि हम कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर हमारी अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाना चाहते हैं, तो हम प्रवासियों का आना बंद नहीं कर सकते. ‘हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी’ के अध्यक्ष एवं सांसद जेरोल्ड नाडलर और आव्रजन एवं नागरिकता समिति के अध्यक्ष जो लोफग्रेन ने संयुक्त बयान में कहा कि डोनाल्ड ट्रंप कोविड-19 से निपटने में अपनी नाकामी से अमेरिकी जनता का ध्यान हटाने के प्रयास में एक बार फिर कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं. इसके अलावा सांसद एना जी एशू और फिलेमन वेला ने भी इस आदेश की निंदा की.
अमेरिका के इस फैसले के बाद मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में शीर्ष पांच आईटी कंपनियों के शेयरों में दिनभर उछाल दिखा. रिपोर्ट के मुताबिक, टीसीएस का बीएसई पर शेयर 0.23 फीसदी बढ़ा और 2,033 रुपये पर कारोबार किया. विप्रो के शेयर में 1.03 फीसदी का उछाल रहा और इसका कारोबार 920 रुपये पर रहा. एचसीएल के शेयर में 1.04 फीसदी की बढ़त रही और 577 रुपये पर कारोबार रहा वहीं टेक महिंद्रा का शेयर 0.52 फीसदी बढ़त के साथ 551 रुपये पर व्यवसाय कर रहा था।
Posted By: Utpal kant