हम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ होते तो अब्दुल सत्तार को मंत्री नहीं बनाते, बोले महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे
जो मुसलमान इस राज्य और देश का सम्मान करते हैं, वे हमारे हैं. हालांकि, यह कांग्रेस ही थी जिसने हमेशा दोनों समुदायों (हिंदू और मुस्लिम) के बीच दरार पैदा की. जानें क्या बोले महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया है. उन्होंने रविवार को कांग्रेस पर विभिन्न मुद्दों पर मुसलमानों के बीच डर पैदा करने और उनके तथा हिंदुओं के बीच दरार पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. षणमुखानंद भवन में राज्य में अल्पसंख्यकों के लिए शिवसेना की पहली बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने उक्त बातें कही.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जो मुसलमान इस राज्य और देश का सम्मान करते हैं, वे हमारे हैं. हालांकि, यह कांग्रेस ही थी जिसने हमेशा दोनों समुदायों (हिंदू और मुस्लिम) के बीच दरार पैदा की. कांग्रेस वर्षों से दोनों समुदायों को एक-दूसरे से दूर रखने, दरार पैदा करने और वोटबैंक की राजनीति करती आयी है. उन्होंने कहा कि मुंबई और ठाणे में सांप्रदायिक तनाव के दौरान, शिवसेना कार्यकर्ताओं ने ना केवल मंदिरों बल्कि मस्जिदों की भी रक्षा की है. अगर हम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ होते तो अब्दुल सत्तार (कृषि मंत्री) को मंत्री नहीं बनाते. हम सभी समुदायों का सम्मान करते हैं.
भाजपा की ‘एक देश, एक दल’ योजना नहीं की जाएगी स्वीकार : उद्धव ठाकरे
इधर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि भाजपा की ‘एक देश, एक दल’ योजना कभी स्वीकार नहीं की जाएगी. उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘‘करिश्मा’’ फीका पड़ता जा रहा है. यवतमाल जिले के दिगरास में एक रैली को संबोधित करते हुए ठाकरे ने अजित पवार धड़े के नौ एनसीपी विधायकों को महाराष्ट्र सरकार में शामिल किये जाने का मुद्दा उठाया और सवाल किया कि भाजपा के दावे के अनुसार यदि सरकार के पास बहुमत है तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को ‘चुराने’ की जरूरत क्या थी.
ठाकरे ने दावा किया कि केंद्रीय गृहमंत्री ने अक्टूबर, 2019 में मुंबई में उनके आवास ‘मातोश्री’ में भेंट के दौरान अविभाजित शिवसेना के साथ ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री का पद साझा करने का वादा किया था. उन्होंने कहा कि लेकिन, 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने अपना वादा कबूल करने से इनकार कर दिया, फलस्वरूप मैंने एनसीपी एवं कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया.