Hardik Patel: राजनीति में न कोई परमानेंट दोस्त होता है, और न ही परमानेंट दुश्मन… कुछ ऐसा ही रिश्ता बीजेपी और हार्दिक पटेल का रहा है. तभी तो बीजेपी के खिलाफ जिस पाटीदार आंदोलन को खड़ा कर हार्दिक ने अपनी राजनीति साधी, बीजेपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी जिसके कारण गई, वो आज खुद बीजेपी का हिस्सा बन गए हैं. बीजेपी के धुर विरोधी रहे हार्दिक पटेल अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
साल 2015 में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक आंदोलन में कूदे थे. आंदोलन का उन्होंने नेतृत्व किया था. इसी समय से वो काफी चर्चा में आ गये थे. दरअसल, सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पाटीदार समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर उन्होंने आंदोलन किया था. हालांकि आंदोलन के दौरान काफी हिंसा हो गई थी, जिसमें एक पुलिसकर्मी सहित 10 लोग की मौत हो गई थी. सार्वजनिक संपत्तियों को भी बहुत नुकसान पहुंचा था.
आरक्षण के लिए आंदोलन की अगुवाई से सुर्खियां बटोरने वाले हार्दिक पटेल की एक रैली न तमाम राजनीतिक दलों और राजनेताओं को चौंका दिया था. हार्दिक ने अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में एक विशाल सभा को संबोधित किया था. सबसे बड़ी बात की उस जनसभा में करीब पांच लाख लोग शामिल हुए थे. मंच से हार्दिक ने जोरदार भाषण देते हुए बीजेपी की जमकर आलोचना की थी.
बीजेपी के धुर विरोधी रहे हार्दिक पटेल ने पीएम मोदी के नोटबंदी समेत तमाम आर्थिक नीतियों के घोर आलोचक रहे थे. हालांकि उन्होंने अभी तक कोई पार्टी ज्वाइन नहीं की थी, लेकिन इसके बाद भी 2017 में उन्होंने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया. बता दें, हार्दिक पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. पार्टी ने प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था.
हार्दिक पटेल पर दर्जनभर से ज्यादा मामले दर्ज हैं. उन पर देशद्रोह के दो मामले भी दर्ज हैं. हार्दिक पटेल पर सूरत पुलिस ने देशद्रोह का मामला दर्ज किया था. उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप भी लगा है. आंदोलन के दौरान 2015 में उन्हें 9 महीने की जेल की सजा भी हुई थी. कोर्ट ने उन्हें 6 महीने के लिए राज्य से निर्वासित भी कर दिया था. हालांकि बाद में जमानत मिलने के बाद वो रिहा हुए है. लेकिन उनपर कई मामले अभी भी चल रहे हैं.
हार्दिक पटेल मुकदमे के कारण साल 2019 चुनाव नहीं लड़ पाए थे. हालांकि इस फैसले के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद उन्हें इस साल चुनाव लड़ने की इजाजत मिली. बता दें, हार्दिक पटेल ने अब तक एक बार भी चुनाव नहीं लड़ा है. कई लोगों का कहना है कि चुनाव लड़ने की जल्दबाजी में वो बीजेपी में शामिल हुए.
गुजरात विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में है. ऐसे में कांग्रेस के एक दिग्गज नेता और पाटीदार समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाने वाले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है. उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली है. हार्दिक का कहना है कि पार्टी को गुजरात से कोई दिलचस्पी नहीं है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट में ये भी बात सामने आयी है कि कम उम्र होने के कारण पार्टी में उनकी कोई खास तवज्जो नहीं हैं. इसलिए उन्होंने पार्टी से किनारा कर लिया है.
बहरहाल मामला जो भी हो लेकिन इतना तो साफ हो गया है कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं होता, सारा खेल अपने नफा-नुकसान का है. कभी बीजेपी के धुर विरोधी रहे हार्दिक पटेल ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है. ऐसे में क्या हार्दिक के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी की ताकत और बढ़ेगी, साथ ही क्या पार्टी 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में 150 से ज्यादा सीटों के टारगेट को पूरा कर पाएगी.