सनातन धर्म के प्रचार के लिए विख्यात श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा सामाजिक सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश करने जा रहा है. अखाड़ा ने अनुसूचित जाति समाज के संतों के लिए दरवाजे पूरी तरह खोल दिए हैं. कुंभ में पांच महिलाओं व अनुसूचित जाति के 10 संतों समेत 23 संतों की महामंडलेश्वर पद पर ताजपोशी होगी.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि सामाजिक संतुलन के लिए हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है. अखाड़ों पर भी यही नियम लागू होता है. आमतौर पर अखाड़ा के सर्वोच्च पदों पर ब्राह्मण या राजपूत जातियों के संत ही काबिज होते आए हैं. जूना अखाड़ा ने इस परंपरा को तोड़ा है.
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प्रयागराज कुंभ में अनुसूचित जाति समाज के संत को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी. इसे हरिद्वार कुंभ में भी कायम रखा जाएगा. श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि 2021 के हरिद्वार कुंभ के लिए देशभर से 1450 संतों ने महामंडलेश्वर की पदवी की इच्छा जताई है. इसके लिए आवेदन भी किए हैं.
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आवेदनों पर समीक्षा और चर्चा चल रही है. श्रीमहंत ने बताया कि 23 महामंडलेश्वर बनाएं जाएंगे. इनमें सर्वाधिक दस महामंडलेश्वर अनुसूचित जाति के संत होंगे. 23 महामंडलेश्वरों में पांच महिलाएं भी होंगी. महामंडलेश्वर की दीक्षा से पहले गुण-दोष के अधार पर उनका मूल्यांकन होगा.
अखाड़ा के अभी आठ सौ महामंडलेश्वर
अखाड़ा का सर्वोच्च पद आचार्य महामंडलेश्वर का है, जो अभी स्वामी अवधेशानंद गिरि हैं. जूना अखाड़े के देशभर में आठ सौ महामंडलेश्वर हैं. छह हजार श्रीमहंत और लाखों महंत हैं. देश और विदेशों में बड़ी संख्या में संत जुड़े हैं.