Haryana Political Crisis: ‘चुनावी मौसम में कौन किधर जाता है…’ हरियाणा सरकार संकट पर बोले खट्टर- हमारे संपर्क में कई विधायक

Haryana Political Crisis: हरियाणा सरकार में सामिल तीन निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने मंगलवार को सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. इसपर हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि चिंता करने की जरूरत नहीं हैं.

By Pritish Sahay | May 8, 2024 10:36 AM

Haryana Political Crisis: हरियाणा सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार संकट में आ गई है. वहीं, तीनों निर्दलीय विधायकों की ओर से प्रदेश की नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से समर्थन वापसी पर हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि चिंता करने की जरूरत नहीं हैं. बता दें, मंगलवार को राज्य सरकार में शामिल तीन विधायक सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने सरकार से यह कहते हुए समर्थन वापस ले लिया था कि वो चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है.

किसी को इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए- खट्टर
वहीं, हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश में छाई सियासी संकट पर कहा है कि चिंता करने की जरूरत नहीं हैं. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि चुनावी मौसम के बीच कौन कहां जा रहा है, इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि कई विधायक भी हमारे संपर्क में हैं. किसी को इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए.

हरियाणा सरकार में सामिल तीन निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने मंगलवार को सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. तीनों विधायकों का कहना है कि उन्होंने चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है. बता दें, तीनों विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री सह कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा  और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक मीडिया से बात करते हुए सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा की.

विधायकों ने कही यह बात
समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायकों में से एक धर्मपाल गोंदर ने कहा है कि हम सरकार से समर्थन वापस लेकर अब कांग्रेस के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि हमने किसानों से जुड़े मुद्दों सहित विभिन्न मुद्दों पर यह निर्णय लिया है. बता दें, 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा की मौजूदा क्षमता 88 की है. इसमें बीजेपी के 40 सदस्य हैं. भाजपा नीत सरकार को पहले जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल था. लेकिन जजपा ने भी समर्थन वापस ले लिया था और अब निर्दलीय भी साथ छोड़ रहे हैं.

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