निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण का मामला, SC में हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई 11 तक टली
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के हरियाणा के स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान करने वाले कानून पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार ने देश के शीर्ष अदालत का रुख किया है.
Reservation in Private Sector Jobs पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के हरियाणा के स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान करने वाले कानून पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार ने देश के शीर्ष अदालत का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार की अपील पर सुनवाई अब 11 फरवरी के लिए स्थगित कर दी गई है.
हाई कोर्ट ने लगाई रोक
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियााण के निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार के कानून पर अंतरिम रोक लगा दी. हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020 राज्य के नौकरी पाने के इच्छुक लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देता है. यह कानून 15 जनवरी से प्रभावी हुआ है. यह आदेश अधिकतम सकल मासिक वेतन या 30 हजार रुपये की मजदूरी देने वाली नौकरियों पर लागू होता है.
Supreme Court adjourns the hearing for February 11 on an appeal of the Haryana government challenging the Punjab and Haryana High Court order staying the state law on providing 75% reservation in private sector jobs for local candidates.
— ANI (@ANI) February 7, 2022
HC के फैसले पर डिप्टी सीएम की प्रतिक्रिया
हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने की बात सामने आई. वहीं, इस बारे में राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हम इसके लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे. हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020 राज्य के नौकरी पाने के इच्छुक लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देता है. यह कानून 15 जनवरी से प्रभावी हुआ है. यह आदेश अधिकतम सकल मासिक वेतन या 30 हजार रुपये की मजदूरी देने वाली नौकरियों पर लागू होता है.
फैसले के खिलाफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
बता दें कि निजी क्षेत्र की नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले एक्ट को फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व अन्य ने चुनौती दी हुई थी और इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न वह सरकार के इस एक्ट पर रोक लगा दें. इस मामले में दायर याचिका में रोजगार अधिनियम 2020 को रद्द करने की मांग की गई थी. साथी ही इस याचिका में आशंका जताई गई थी कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्रीज का पलायन हो सकता है तथा यह वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है.
सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग
याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार का यह फैसला युवाओं की योग्यता के साथ अन्याय है. ओपन की जगह आरक्षित क्षेत्र से नौकरी के लिए युवाओं का चयन करना एक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर का व सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है, इसलिए इसे रद्द किया जाए. याचिका के अनुसार धरती पुत्र नीति के तहत राज्य हरियाणा सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण दे रही है है, जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होती हैं.
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