नयी दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) को धीरे-धीरे समाप्त करने के लिए 15 दिनों तक 5 फीसदी से कम पॉजिटिविटी रेट (Positivity Rate) को पैमाना बनाया है. भारत डब्ल्यूएचओ (WHO) की इस अनुशंसा के अनुरूप इस स्थिति में पहुंच चुका है. कई राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. कुछ राज्यों में तो पॉजिटिविटी रेट एक फीसदी से भी नीचे पहुंच गयी है. डेक्कन क्रॉनिकल की एक खबर के मुताबिक इसके बाद भी एक्सपर्ट यह करने से परहेज कर रहे हैं कि देश में कोरोना की दूसरी लहर समाप्त हो गयी है.
मंगलवार को देश भर में 42,640 नये कोरोनावायरस संक्रमण के मामले आये. यह 91 दिनों में सबसे कम और 3.21 प्रतिशत की सकारात्मकता दर के साथ आये हैं. इससे तो यही लगता है कि COVID-19 संकट का दूसरा चरण समाप्त हो गया है और यह प्रतिबंध हटाने का एक अच्छा समय है. कई वैज्ञानिकों ने कहा कि इस आशावादी तस्वीर को बहुत की सावधानी के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए. नये रूपों के सामने आने का हवाला देते हुए कहा गया कि अभी भी उच्च पूर्ण मामलों की संख्या, कई जिले जहां सकारात्मकता दर 5 प्रतिशत से अधिक है, चिंता का विषय है.
स्कूल ऑफ नेचुरल साइंसेज (एसओएनएस), शिव नादर विश्वविद्यालय, दिल्ली एनसीआर में एसोसिएट प्रोफेसर नागा सुरेश वीरापू ने कहा कि हजां पॉजिटिविटी दर 5 फीसदी से कम हो गयी है वहां भी नये वेरिएंट डेल्टा प्लस का खतरा बना हुआ है. डब्ल्यूएचओ की सिफारिश है कि देशों या क्षेत्रों के फिर से खुलने से पहले पॉजिटिविटी रेट 14 दिनों के लिए 5 प्रतिशत या उससे कम रहनी चाहिए. वीरापू ने कहा कि इस साल फरवरी में, देश पहली लहर के अंत का जश्न मना रहा था और एक उस दौरान आने वाले दूसरी लहर को आसानी से नजरअंदाज कर दिया गया.
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वीरापू ने कहा कि मार्च में उभरा डेल्टा वेरिएंट भारत के विभिन्न हिस्सों में फैल गया, फिर दूसरी लहर अपने चरम पर पहुंच गयी. दूसरी लहर इस समय सामने आयी जब देश में पॉजिटिविटी रेट एक फीसदी से भी कम था. सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि जहां मामले घट रहे हैं, वहीं मामलों की पूर्ण संख्या अभी भी बहुत अधिक है. दिल्ली के चिकित्सक-महामारी विज्ञानी और स्वास्थ्य प्रणाली विशेषज्ञ ने संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षण सकारात्मकता दर में कमी आई है, लेकिन अभी भी कई जिले ऐसे हैं जहां टीपीआर 5 प्रतिशत से ऊपर है.
उन्होंने कहा कि इसलिए, यह कहने से पहले कि दूसरी लहर का अंत हो गया है. मैं हर जगह टीपीआर के 5 प्रतिशत से नीचे आने और दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक बने रहने का इंतजार करना चाहता हूं. वैज्ञानिक गौतम मेनन ने लहरिया से सहमति जताते हुए कहा कि केरल जैसे कुछ राज्यों में अभी भी सकारात्मकता दर 5 प्रतिशत से अधिक देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर परीक्षण को दर्शाता है या यदि वहां स्थिति में अभी भी सुधार होता है.
यह मानते हुए कि भारत के मामलों में गिरावट काफी नाटकीय रही है, मेनन ने कहा कि हम सभी जानते हैं, यह शहरी और ग्रामीण भारत दोनों में एक वास्तविक गिरावट है. लहर की कोई सख्त परिभाषा नहीं है. यह कैसे और कब समाप्त हो सकता है, यह कहा नही जा सकता हालांकि सावधानी के साथ चीजें खुलनी शुरू होनी चाहिए. महामारी की दूसरी लहर ने देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को लचर स्थिति में पहुंचा दिया. संक्रमण अब धीमा हो गया है और अधिकांश राज्यों में प्रतिबंधों में ढील दी गई है.
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि टेस्ट का पॉजिटिविटी रेट केवल तभी मूल्यवान जानकारी प्रदान करती है जब परीक्षण सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से सुलभ हो. शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी संख्या में टेस्ट किये जाने चाहिए. पॉजिटिविटी रेट घटने का यह मतलब कभी नहीं लगाया जा सकता कि मामले तेजी से नहीं बढ़ेंगे. जिस प्रकार वायरस अपना रूप बदल रहा है यह कभी भी संक्रमण को बढ़ा सकता है.
Posted By: Amlesh Nandan.