नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मंगलवार को हाथरस मामले (Hathras Case) की सीबीआई जांच का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई निहित स्वार्थ से गलत और झूठे विमर्श नहीं रच पायेगा. प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे (Chief Justice of India Sharad A. Bobde) की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध एक जनहित याचिका की प्रतिक्रिया में प्रदेश सरकार ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी (CBI) से जांच कराई जाए.
दिल्ली के एक्टिविस्ट सत्यम दुबे ने वकील संजीव मल्होत्रा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है और अदालत से मांग की है कि इस हाथरस मामले की जांच सीबीआई से करायी जाए. या फिर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के पूर्व जज की अगुवाई में एक विशेष जांच दल बनाकर इस मामले की जांच करायी जाए. याचिका में यह भी कहा गया है कि मामले को दिल्ली हस्तांतरित किया जाना चाहिए.
सत्यम दुबे ने कहा कि सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत के बाद की सभी परिस्थितियों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. जिसमें पुलिस द्वारा उसके परिवार की अनुपस्थिति में आधी रात को दाह संस्कार करने का मामला भी शामिल है. परिवार का आरोप है कि उन्हें युवती का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया. बता दें कि यूपी सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी है.
प्रदेश सरकार ने कोर्ट में कहा कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच से निष्पक्ष जांच में निहित स्वार्थों द्वारा उत्पन्न की जा रही बाधाओं को दूर किया जा सकेगा. उप्र सरकार ने कहा, सीबीआई जांच सुनिश्चित करेगी कि कोई निहित स्वार्थ से गलत और झूठे विमर्श नहीं रच पाएं. प्रदेश सरकार ने हलफनामे में कहा कि उसने केंद्र सरकार से पहले ही मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया है.
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उधर, उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित समुदाय की महिला के साथ गैंगरेप और उसकी मौत के बाद तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पुलिस ने जिले के चंदपा थाने में जाति आधारित संघर्ष की साजिश, सरकार की छवि बिगाड़ने के प्रयास और माहौल बिगाड़ने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है. इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. प्रदेश भर में इस संबंध में कुल 21 मुकदमे दर्ज किये गये हैं.
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार के मुताबिक हाथरस प्रकरण में हाथरस जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में छह मुकदमों के अलावा सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, प्रयागराज, हाथरस, अयोध्या, लखनऊ आयुक्तालय में कुल 13 मामले दर्ज किये गये हैं. दिल्ली से हाथरस की तरफ जा रहे चार संदिग्धों के विरूद्ध निरोधात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया है. पुलिस का आरोप है कि ये लोग हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश को जलाने की साजिश में शामिल हैं.
हाथरस के चंदपा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (अपराध के लिए उकसाने), 124ए (देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने की कोशिश-राजद्रोह), 120 बी (षडयंत्र), 153-ए (धर्म भाषा और जाति के आधार पर विद्वेष फैलाना), 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बयान), 195 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 465 (कूटरचना), 468 (कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग), 501(मानहानिकारक मुद्रण), 505 (भय का माहौल बनाने वाला बयान) और सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008 की धारा 67 समेत कुल 20 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा है कि ‘न केवल देश और प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगे फैलाने की साजिश रची जा रही है बल्कि इसकी नींव रखने के लिए विदेश से फंडिंग भी हो रही है.’ उन्होंने विपक्ष पर साजिश रचने का आरोप लगाया है. हालांकि उनके बयान के कुछ ही देर बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनपर पलटवार करते हुए कहा कि साजिश रचने में मास्टरी करने वाले विपक्ष पर साजिश रजने का आरोप लगा रहे हैं.
Posted By: Amlesh Nandan.